एमपी में लंंगूर की मौत के बाद हुए मृत्युभोज में शामिल हुए 1500 लोग

टीम भारत दीप |

तेरहवीं में लगभग 1,500 लोग शामिल हुए और  प्रसाद ग्रहण किया।
तेरहवीं में लगभग 1,500 लोग शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया।

मालूम हो कि ठंठ से लंगूर की 29-30 दिसंबर की रात को ठंड लगने के कारण गांव में मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रामीणों ने 30 दिसंबर को विधि-विधान से लंगूर का अंतिम संस्कार किया था। डालूपुरा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच अर्जुन सिंह चौहान ने कहा कि उनके गांव के सभी निवासी बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप मानते हैं।

राजगढ़। मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले से पशु और मानव के बीच के प्रेम की अनोखी कहानी सामने आई है। यहां डालूपुरा गांव के लोगों ने ठंड से मरे एक लंगूर का विधि विधान से अंतिम संस्कार किया। इसके बाद उसकी तेरहवीं के लिए मृत्यु भोज का आयोजन किया गया। इस मृत्युभोज में करीब 1,500 लोग शामिल हुए। 

मालूम हो कि ठंठ से लंगूर की 29-30 दिसंबर की रात को ठंड लगने के कारण गांव में मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रामीणों ने 30 दिसंबर को विधि-विधान से लंगूर का अंतिम संस्कार किया था। डालूपुरा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच अर्जुन सिंह चौहान ने कहा कि उनके गांव के सभी निवासी बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप मानते हैं। 

हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

वहीं एक ग्रामीण ने बताया कि 'हमारे गांव में यह रिवाज है कि यदि गांव में किसी बंदर या लंगूर की मृत्यु हो जाती है तो हम सब गांव के लोग मिलकर उसका अंतिम संस्कार उसी प्रकार करते हैं जिस प्रकार एक अपने की  मृत्यु होने के बाद किया जाता है।

इसी क्रम में ग्रामीणों के सहयोग से हमारे गांव में लंगूर की मृत्यु पर शुक्रवार को मृत्यु भोज का आयोजन किया गया जिसमें समस्त कार्यक्रम हिंदू रीति रिवाज के साथ संपन्न किए गए।' चौहान ने बताया कि तेरहवीं में लगभग 1,500 लोग शामिल हुए और उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें