रीवा सहकारी बैंक के दौ मैनेजरों समेत चार लोगों से होगी 27 करोड़ की वसूली
घोटाले की जांच के बाद कोर्ट ने आरोपियों से 27 करोड़ रुपये वसूली के आदेश दिए है। न्यायालय पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जबलपुर संभाग संयुक्त पंजीयक ने पिछले माह वसूली सात के आदेश जारी किए थे। मालूम हो कि इस घोटाले के जांच में एजेंसियों को दस साल लग गए। जांच पूरी होने के बाद मामला कोर्ट पहुंचा।
रीवा -मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के रीवा संभाग की सहकारी समितियों और सहकारी बैंक कर्मियों द्वारा 2005-6 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसे राशन तेल और मध्यान्ह भोजन वितरण के मामले में किए गए घोटाले की जांच के बाद कोर्ट ने आरोपियों से 27 करोड़ रुपये वसूली के आदेश दिए है।
न्यायालय पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जबलपुर संभाग संयुक्त पंजीयक ने पिछले माह वसूली सात के आदेश जारी किए थे। मालूम हो कि इस घोटाले के जांच में एजेंसियों को दस साल लग गए। जांच पूरी होने के बाद मामला कोर्ट पहुंचा।
कोर्ट के आदेश के बाद विभागीय प्रक्रिया पूरी होते -होते 2020 में इस मामले में दो तत्कालीन बैंक मैनेजर आरके दुबे और जेएस ठाकुर सहित केएस चैहान मुख्य लेखपाल व भोपाल प्रसाद द्विवेदी ब्रांच मैनेजर को आरोपी मानते हुए पैसा वसूली का आदेश जारी किया गया है।
पीके सिद्वार्थ द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि आरोपियों पर आरोप तय होने के दिन से घोटाले में गई राशि का ब्याज सहित वसूल किया जाए। पीके सिद्धार्थ ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि जनकल्याण कारी योजनाओं का संचालन समितियों के माध्यम से किया जाता है। यह समितियां बैंकों के अधीन होती है।
ऐसे में इनके द्वारा लापरवाही बरती गई इस कारण सरकार की योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पाया ऐसे में दोषी सभी आरोपियों से ब्याज सहित वसूला जाए ताकि फिर कोई इस तरह सरकारी योजनाओंक साथ लापरवाही न बरतें ।
गरीबों को नहीं मिला लाभ
सहकारी समीतियों की लापरवाही से गरीब उपभोक्ताओं को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला था। सरकार द्वारा स्कूलों में मध्यान्ह भोजन और गरीबों को राशन और तेल हर माह वितरित किया जाता है।
ऐसे में उन्हें न तो राशन मिला और नहीं बच्चों को स्कूल में भोजन। स्थानीय लोगों की शिकायत पर यह मामला पकड में आया था। दस साल जांच के बाद इसे कोर्ट में पेश किया गया था। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने वसूली का आदेश दिया था।