69000 शिक्षक भर्ती मामला: सीएम आवास घेरने पहुंचे अभ्यर्थियों से पुलिस की भिड़ंत, कई घायल
दरअसल भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए आज यानि मंगलवार को सैकड़ों अभ्यर्थी सीएम आवास के नजदीक आ पहुंचे। ये सीएम आवास जाने की मांग पर यहां जुटे रहे। मगर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं बढ़ने दिया। जिसके बाद अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।
लखनऊ। यूपी में 69000 पदों पर चल रही शिक्षक भर्ती मामले में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए आज यानि मंगलवार को सैकड़ों अभ्यर्थी सीएम आवास के नजदीक आ पहुंचे। ये सीएम आवास जाने की मांग पर यहां जुटे रहे। मगर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं बढ़ने दिया।
जिसके बाद अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। मामला बढ़ता देख कुछ अभ्यार्थी रोड पर ही बैठ गए। यह देख झल्लाई पुलिस अभ्यर्थियों से भिड़ंत हो गई। पुलिस के बल प्रयोग करते ही यहां भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक की जानकारी के अनुसार करीब 6 अभ्यर्थी घायल हुए है। इनका इलाज करवाया गया है।
वहीं मामले पर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार पर तंज कसा है। उनके मुताबिक 'आरक्षण घोटाले के खिलाफ हक की लड़ाई लड़ रहे पीड़ित छात्रों की मांग सुनने की बजाय हजारों ओबीसी और एससी सीटों को लूटने वाली योगी सरकार उन पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज करवाती है, जो निंदनीय है। कहा कि हर लाठी का हिसाब 2022 में भाजपा को चुकाना पड़ेगा।
वहीं बताया गया कि NEET में ओबीसी आरक्षण बहाल करने की लड़ाई लड़ रहे मंडल चीफ आर्मी की गिरफ्तारी भाजपा की हिटलरशाही का जीता जागता उदाहरण है। कहा गया कि कितनों को गिरफ्तार कर लो तानाशाही सरकार यह आंदोलन नहीं रुकेगा। उनके मुताबिक भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली पिछड़ों दलितों का विनाश करने पर लगी हुई है'।
इधर प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थी अनूप कुमार के मुताबिक पुलिस गाड़ी में कहां ले जा रही, उन लोगों को नहीं पता है। यहां तक की आंदोलन में शामिल लड़कियों को दूसरी जगहों पर ले जाया जा रहा है। बताया गया कि शिक्षा मंत्री ने 6 जुलाई को वार्ता कर चार दिन का समय मांगा था। मगर मामले में 14 दिन गुजर गए और सरकार ने कोई पहल तक नहीं की है।
इस दरम्यान प्रदर्शनकारियों ने 'योगी जी न्याय दो, शिक्षा मंत्री न्याय' दो के नारे लगाए। बताया गया कि अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर सीएम और राज्यपाल को भी पत्र लिख चुके हैं। मगर अभी तक उनकी मांगों को नजरअंदाज कर गलत तरीके से भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है। अभ्यर्थियों के मुताबिक उनकी मांगों पर यदि जल्द ही अमल नहीं हुआ तो वो और भी बड़ा आन्दोलन करने को मजबूर होगा।
वहीं मामले में सवाल उठाते हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 फीसदी के स्थान पर उनके कोटे में 3.86 प्रतिशत आरक्षण क्यों? भर्ती में दलित वर्ग को 21 फीसदी के स्थान पर उनके कोटे में 16.6 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
वहीं अपनी मांग दोहराते हुए अभ्यर्थियों ने कहा कि आरक्षण नियमावली बेसिक शिक्षा विभाग उप्र 1994 का सही ढंग से पालन न होने की वजह से 15000 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए। संविधान से मिले आरक्षण के अधिकार 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत को पूरी तरह से लागू किया जाए।
बताते चलें कि अभ्यर्थी करीब एक माह से यूपी की राजधानी लखनऊ में डेरा डाले हुए आन्दोलन कर रहे है। इससे पहले ओबीसी और एसई वर्ग के लोगों ने पिछले दिनों शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के घर का घेराव किया था। उनका आरोप था कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के नियम को फॉलो नहीं किया गया है।
इसमें 6 लोगों का डेलिगेशन शिक्षा मंत्री से भी मिला था। उसमें प्रदर्शनकारियों ने बताया कि 15 हजार लोगों की नौकरी मारी जा रही है। वहीं मामले को लेकर मंत्री ने आयोग से चार दिन में रिपोर्ट मांगने की बात कही थी।