माचिस से खेलते समय झोपड़ी में लगी आग, जिंदा जल गया 9 माह का मासूम, बहनें हुई बेहाल
यह दिल दहलाने वाला हादसा गुन्नौर थाना क्षेत्र के गांव गंगावास का है। यहां के रहने वाले कल्याण अपनी पत्नी कमलेश और पिता शिवनारायन के साथ सोमवार की शाम चार बजे खेत में पर गेहूं काट रहे थे। धूप से बचने के लिए कल्याण ने खेत पर ही एक झोपड़ी बनी झोपड़ी में बच्चो को बैठा दिया था।
संभल। उत्तर प्रदेश सम्भल जिले में सोमवार शाम को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां के गुन्नौर थाना क्षेत्र के गंगावास में खेत पर बनी झोपड़ी मेें दो बालिकाएं माचिस से खेल रहीं थीं, जबकि नौ माह का छोटा भाई चारपाई पर सोया हुआ था।
खेलते समय माचिस की तीली जल उठी, इससे झोपड़ी में आग लगी। आग देखते ही दोनों भाई को छोड़कर बाहर निकल गई, और शोर मचाकर मम्मी -मम्मी चिलाने लगी। जब तक लोग वहां पहुंचे और आग बुझाकर मासूम को निकाला तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
यह दिल दहलाने वाला हादसा गुन्नौर थाना क्षेत्र के गांव गंगावास का है। यहां के रहने वाले कल्याण अपनी पत्नी कमलेश और पिता शिवनारायन के साथ सोमवार की शाम चार बजे खेत में पर गेहूं काट रहे थे।
धूप से बचने के लिए कल्याण ने खेत पर ही एक झोपड़ी बनी झोपड़ी में बच्चो को बैठा दिया था। और पूरा परिवार गेहूं काटने लगे । इस दौरान झोपड़ी में बैठी बेटी रेनू, नन्हीं और नौ माह के बेटे राघव खेल रहे थे। इसी बीच कल्याण की दोनों बेटियां झोपड़ी में खेलते—खेलते पिता की जेब में रखी माचिस निकाल ली। खेलते समय माचिस में आग लग गई।
आग लगते ही दोनों बहनें वहां से भागकर जान बचा ली, लेकिन झोपड़ी में सो रहा नौ माह का भाई राघव आग से जलकर मर गया। शोर शराबा सुनकर कल्याण पत्नी के साथ मौके पर पहुंचा, लेकिन तब तक जलती हुई झोपड़ी जलकर मासूम के ऊपर गिर चुकी थी। उधर झोपड़ी को जलता देख आसपास के खेताें पर काम कर रहे किसान भी मौके पर पहुंच गए।
आग पर काबू करके मासूम को बाहर निकाला गया, लेकिन जब तक उसकी मौत हो चुकी थी। कल्याण के घर दो बेटी थी जबकि अकेला बेटा था, लेकिन वह भी जिंदा जल गया। बेटे की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वहीं दो बहनें जो अपने भाई को बहुत प्यार करती थी उनकी मासूमियत की वजह से इस दुनिया में चला गया।
खुशियां लेकर आया था बेटा
कल्याण के घर में जब दो बेटियों के बाद बेटा राघव पैदा हुआ तो परिवार में खुशियां आई गई थी, सभी लोग काफी खुश थे। परिवार के लोग कभी भी मासूम को अकेला नहीं छोड़ते थे लेकिन उन्होंने मासूम को बेटियों के भरोसे छोड़ दिया था और खुद गेहूं काटने में जुटे थे। झोपड़ी में कोई जिम्मेदार होता तो इस तरह की घटना नहीं होने पाती। बेटे की मौत के बाद मां का बुरा हाल है।