किसान आन्दोलन के बीच अन्नदाताओं को बड़ा झटका, आम आदमी को भी यूं पड़ेगी चोट

टीम भारत दीप |

खेती में लागत बढ़ने से अनाज और सब्जियों की कीमतों में भी काफी उछाल देखने को मिलेगा।
खेती में लागत बढ़ने से अनाज और सब्जियों की कीमतों में भी काफी उछाल देखने को मिलेगा।

उर्वरकों की कीमत में भारी बढ़ोत्तरी की है। बताया गया कि डाई-अमोनियम फासफेट (डीएपी) का 50 किलो वाले बैग की कीमत में 58 फीसदी का इजाफा किया गया है। पहले यह 1200 रुपए में मिलता था वहीं दाम में वृद्धि के बाद अब इसके लिए किसानों को 1900 रुपए चुकाने पड़ेंगे।

नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आन्दोलन व पांच राज्यों में हो रहे चुनावी समर के बीच अन्नदाताओं को बड़ा झटका लगा है। साथ ही आम आदमी पर भी भारी चोट का अंदेशा जताया जा रहा है।

दरअसल पांच राज्यों में चुनावी घमासान और केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के बीच अन्नदाताओं को एक और झटका मिला है। जानकारी के मुताबिक देश के सबसे बड़े खाद विक्रेता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (IFFCO) ने उर्वरकों की कीमत में भारी बढ़ोत्तरी की है।

बताया गया कि डाई-अमोनियम फासफेट (डीएपी) का 50 किलो वाले बैग की कीमत में 58 फीसदी का इजाफा किया गया है। पहले यह 1200 रुपए में मिलता था वहीं दाम में वृद्धि के बाद अब इसके लिए किसानों को 1900 रुपए चुकाने पड़ेंगे। गौरतलब है कि देश में यूरिया के बाद किसान सबसे अधिक डीएपी का ही इस्तेमाल करते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक IFFCO ने उर्वरकों के विभिन्न मिश्रण NPKS (नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटाश और सल्फर) की एमआरपी में भी इजाफा कर दिया है। बताया गया कि 10:26:26 की कीमत 1,175 रुपए से बढ़ाकर 1,775 रुपए की गई है तो 12:32:16 के लिए अब 1,185 की बजाय 1,800 रुपए चुकाने होंगे।

उधर 20:20:0:13 के मिश्रण वाले 50 किलो के बैग के लिए अब 925 की जगह 1350 रुपए खर्च करने होंगे। बताया गया कि नई कीमतें 1 अप्रैल से लागू हो गई हैं। वहीं IFFCO के एक प्रवक्ता के मुताबिक गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही नियंत्रण मुक्त हैं। बताया गया कि कोऑपरेटिव के फैसले का किसी राजनीतिक दल या सरकार से लेना—देना नहीं है।

कहा गया कि कीमतों में यह तेजी मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार के कारण से आई है। बताया गया कि बीते 5-6 महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। बताते चलें कि अक्टूबर में जहां डीएपी के आयात के लिए प्रति टन 29,845 रुपए खर्च करने पड़ते थे वहीं अब उसकी कीमत बढ़कर 40,290 प्रति टन हो गई है।

इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमोनिया की कीमत प्रति टन 20891 रुपए से बढ़कर 37,306 रुपए तक पहुंच गई है। उधर सल्फर की कीमत भी 6,342 रुपए प्रति टन से बढ़कर 16,414 रुपए प्रति टन हो गई है। बताया गया कि इस दरम्यान यूरिया और पोटाश की कीमतों में भी काफी उछाल आया हैं।

बताया गया कि प्रति टन यूरिया की कीमत 20,518 रुपए से बढ़कर 28352 रुपए हो गई है। बताया जा रहा है कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में तेजी के बीच खाद की कीमतों में उछाल का राजनीतिक और आर्थिक असर देखने को ​मिल सकता है।

वहीं कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि खाद की कीमतों में उछाल का असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि खेती में लागत बढ़ने से अनाज और सब्जियों की कीमतों में भी काफी उछाल देखने को मिलेगा। इससे आम आदमी पर भी भारी चोट पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। 


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