तेजी से बदल रहा समाज : सहेली से शादी करने के लिए जेंडर बदलवाने पर अड़ी युवती

टीम भारत दीप |

वह अपनी सहेली के प्रति एकतरफा आकर्षण में पागल है। जबकि, वो उसे दोस्त समझती है।
वह अपनी सहेली के प्रति एकतरफा आकर्षण में पागल है। जबकि, वो उसे दोस्त समझती है।

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. शिकाफा जाफरीन ने बताया कि समलैंगिक होने के मामले पता चलने पर परिजन बच्चों पर नाराजगी जाहिर करते है उन पर दबाव बनाते या मारपीट करने लगते हैं,जो सही नहीं है। उन्हें बच्चों की मनोदशा को समझकर अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

झांसी। इस समय हमारे देश में तेजी से समलैंगिकता मामले सामने आ रहे है। प्रदेश के किसी न किसी जिले में समलैंगिक के प्रति झुकाव के कारण हुए टकराव की खबरे आम होती जा  जा रही है।

कहीं- युवक-युवक के प्यार में पड़ कर एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं तो कही लड़की लड़का बनकर उससे शादी करना चाहती है।जैसे ही इस बात की खबर घर में लगती है तो भूचाल आ जाता है।

परिजन पहले बच्चों को समझाते है फिर मारपीट पर उतारू हो जाते है। यही से युवाओं के मन में बगावत के बीज पनपते है और वह घर तक छोड़ने को तैयार हो जाते है।  प्रदेश में तेजी से बढते हुए समलैंगिकता के मामले में गत दिवस एक हिन्दी दैनिक अखबार अमर उजाला  में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।

इस रिपोर्ट में अखबार के प्रतिनिधि झांसी मेडिकल काॅलेज में पदस्थ मनोविभाग के चिकित्सक और काउंसलर से चर्चा करके इसके कारणों और बच्चों को कैसे समझाए के बारे में विस्तार से बताया है। 

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. शिकाफा जाफरीन ने बताया कि समलैंगिक होने के मामले पता चलने पर परिजन बच्चों पर नाराजगी जाहिर करते है उन पर दबाव बनाते या मारपीट करने लगते हैं,जो सही  नहीं है।

उन्हें बच्चों की मनोदशा को समझकर अच्छा व्यवहार करना चाहिए। धीरे-धीरे बच्चों को समझाने की कोशिश करनी चाहिए। यदि बच्चों पर दबाव बनाएंगे तो वह एंजाइटी या फिर डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। कई तो नशे के आदी हो जाते हैं। वहीं, डिप्रेशन में आकर युवक-युवती आत्महत्या करने का प्रयास करते है, कई तो सफल भी हो जाते है।

 डाॅ. जाफरीन ने बताया कि अब समलैंगिकता के मामले बढ़ने लगे हैं। पिछले डेढ़-दो साल में 10 मामले सामने आ चुके हैं। पारिवारिक माहौल शांत रहे, इसके लिए वह फैमिली थेरेपी देती हैं। परिजनों को समझाती हैं कि बेटा या बेटी के साथ मारपीट न करें।

यह कोई बीमारी नहीं है। इसलिए इसकी कोई दवा नहीं है। काउंसिलिंग और इलाज करके व्यवहार या सोच में कुछ सुधार किया जा सकता है। संवाद ही सामान्य जीवन का एकमात्र उपाय है।

इन  मामलों  ने समाज को चौंकाया 

सहेली के प्यार में ठुकराया रिश्ता: 25 साल की युवती को उसकी मां लेकर जिला अस्पताल पहुंचती है। युवती का बिल्कुल लड़कों जैसा पहनावा, बोलचाल है। शादी के लिए कई प्रस्ताव आए मगर लड़की ने सभी ठुकरा दिए।

मां ने मनोचिकित्सक को बताया कि शादी के लिए ज्यादा दबाव बनाया तो एक दिन बेटी कुएं में कूद गई। वह कहती रहती है कि लड़का हूं। इसलिए किसी लड़के से शादी नहीं करूंगी। काउंसलिंग के जरिए पता चला कि वह अपनी सहेली के प्रति एकतरफा आकर्षण में पागल है। जबकि, वो उसे दोस्त समझती है। इलाज के बाद अब उसमें बदलाव आना शुरू हो गया है।

समलैंगिक संबंधों के दबाव में मानसिंह रोगी बन गया:शहर का रहने वाला एक युवक अपने दोस्त के साथ रिलेशनशिप में था। वह अपनी यह बात किसी को बता भी नहीं पा रहा था और परिजन उस पर शादी करने का दबाव बना रहे थे।

इस कारण वह गुस्से में घर में तोड़फोड़ करता रहा था। परिजनों ने उसका सालों इलाज कराया। कहीं से भी लड़के को कोई राहत नहीं मिली, उल्टा वह मानसिक रोग से ग्रस्त हो गया। अंत में परिजन लड़के को मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। काउंसलिंग में जब हकीकत पता चली तो मनोचिकित्सक ने परिजनों को भी समझाया। अब तीन-चार महीने जिंदगी सामान्य हो रही है।

ज्यादा टोकाटाकी बर्दाश्त नहीं हुई तो काट ली नस|:सौंदर्य प्रसाधन व्यवसाय से जुड़ीं दो युवतियों में भी एक दूसरे के प्रति आकर्षण हो गया। दोनों में रिलेशनशिप हो गईं। इनमें से एक युवती रिश्ते को लेकर इतनी गंभीर हो गई कि वह अपनी सहेली का किसी दूसरे से बात करना भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी।

किसी लड़के या लड़की से बात करने पर वह सहेली को बहुत ज्यादा टोकने लगी। इससे परेशान सहेली ने अपने हाथ की नस काट ली। फिर सहकर्मी ही उसे मनोचिकित्सक के पास लेकर आए। उसका इलाज शुरू हुआ। अब वह उसे सामान्य करने का प्रयास करने में लगी हुई हैं।

जेंडर बदलने पर अड़ी हुई है युवती, परिजन परेशान:सिविल लाइन निवासी एक युवती अपना जेंडर बदलने की बात पर अड़ी हुई है। इसके बारे में उसने पूरी तहकीकात भी कर ली और फिर परिजनों को इसकी जानकारी दी।

यह बात सुनते ही परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। परिजनों ने उसे समझाने का प्रयास किया तो उसने कहा कि वह अपने शरीर से नफरत करने लगी है। इसलिए वह लड़का बनना चाहती है।

वह एक लड़की को पसंद करती है। जेंडर बदलवाने के बाद वह उससे शादी कर लेगी। उसका मनोचिकित्सक के पास अभी इलाज शुरू हुआ है मगर फिर भी वो जेंडर बदलवाने की बात पर अड़ी हुई है।

परिजनों के दबाव में शादी की फिर पत्नी-बच्चे को छोड़ दिया: झांसी के एक व्यक्ति ने परिजनों के दबाव में शादी कर ली। उसका एक बेटा भी हो गया। फिर एक दिन वह बिना बताए घर छोड़कर चला गया। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला।

बैंक अकाउंट के जरिए किसी तरह उसके दक्षिण भारत में होने की जानकारी मिली। काफी खोजबीन के बाद पता चला कि वो अपने दोस्त के साथ रिलेशनशिप में है और उसी के संग रह रहा है। परिजनों ने उसे काफी मनाने का प्रयास किया लेकिन वो नहीं माना। अभी भी वह परिवार से अलग होकर अपने दोस्त के साथ ही जीवन व्यतीत कर रहा है।

परिजन यह रखें ध्यान

  • मां.बाप बच्चों को लेकर शुरू से जागरूक रहें कि कहीं बच्चा समान जेंडर के प्रति आकर्षित तो नहीं हो रहा।
  • बच्चा ऐसा व्यवहार तो नहीं करने लगा है कि वो उसके जेंडर के विपरीत हो।
  • यदि ऐसा होता है तो काउंसिलिंग के लिए मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
  • .आधुनिकता की दौड़ में भारतीय परिवेश और संस्कृति से बच्चों को जोड़े रखें।

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