यूपी का ऐसा गांव जिसने अमेरिका की तर्ज पर कराया प्रधानी का आंतरिक चुनाव
चुनाव में जीत हासिल करने वाला ही पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होगा। गांव के बुजुर्गो का मानना है कि चुनाव में ज्यादा प्रत्याशी होने की वजह से दुश्मनी होती है। इसलिए गांव के लोगों ने चुनाव से पहले अपने स्तर पर चुनाव कराने का फैसला लिया।
मैनपुरी। प्रदेश में जहां पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा और मारपीट की घटनाएं आम हो जाती है। वहीं इन सब के विपरित प्रदेश का एक ऐसा गांव है जहां हिंसा को रोकने के लिए एक मिसाल पेश की है।
मैनपुरी जिले के एक गांव में अमेरिकी प्राइमरी चुनाव की तर्ज पर गांव में प्रधान पद का आंतरिक चुनाव कराया गया है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला ही पंचायत चुनाव में प्रत्याशी होगा। गांव के बुजुर्गो का मानना है कि चुनाव में ज्यादा प्रत्याशी होने की वजह से दुश्मनी होती है।
इसलिए गांव के लोगों ने चुनाव से पहले अपने स्तर पर चुनाव कराने का फैसला लिया।मैनपुरी के फौजियों के गांव के नाम से मशहूर औरंध में सोमवार को प्रधान पद के लिए आंतरिक चुनाव हुआ।
बैलेट पेपर छपवाए गए, पांच बूथ बनाए गए। वोटर लिस्ट के आधार पर मतदान हुआ पीठासीन अधिकारी व मतदानकर्मियों की जगह गांव के ही सम्मानित लोग बैठे। निर्धारित समय में मतदान हुए फिर मतगणना हुई। इसके बाद तीन प्रत्याशियों में एक विजयी घोषित किया गया।
वोट बंटने से रोकने हुआ निर्णय
औरंध ग्राम पंचायत है, इसमें कुल 10 गांव-मजरे हैं। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 6300 है। ग्राम पंचायत के सबसे बड़े गांव औरंध में 1936 मतदाता हैैं। पंचायती राज लागू होने के बाद हर चुनाव में गांव औरंध का व्यक्ति ही प्रधान चुना जाता रहा।
वर्ष 2010 में भनऊ गांव का प्रधान बना, वर्ष 2015 में भी ऐसा ही हुआ। बीते चुनाव में औरंध से ही छह प्रत्याशी मैदान में थे, वोट बंटने के साथ ही गांव में गुटबंदी पैदा हो गई। लिहाजा, इस बार बुजुर्गों ने आंतरिक चुनाव कर एक प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। चुनाव के लिए सात लोगों की समिति बना दी गई।
ऐसे हुआ चुनाव
सात सदस्यीय समिति ने गांव में चुनाव पर होने वाले खर्च की व्यवस्था की। गांव से तीन दावेदार थे। तीनों के नाम और फोटोयुक्त मतपत्र छपवाए गए। मतदान के लिए गांव को पांच वार्डों में बांट कर पांच बूथ बनाए गए।
हर मतदान केंद्र पर एक पीठासीन अधिकारी भी नियुक्त किया गया। सोमवार सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक मतदान हुआ। कुल 1936 में से 1138 मतदाताओं ने वोट डाले। गांव के मंदिर परिसर को मतगणना केंद्र बनाया गया।
तीनों प्रत्याशियों के चुनाव एजेंट की मौजूदगी में मतों की गिनती की। मतगणना में 724 मत हासिल कर अखंड प्रताप विजयी रहे जबकि, सत्यपाल सिंह को 384 और सुनील चौहान को 30 मत प्राप्त हुए। चुनाव समिति ने विजेता के नाम की घोषणा की।
फैसले का सभी करेंगे सम्मान
आंतरिक चुनाव में विजेता प्रत्याशी अखंड प्रताप ने कहा कि कई प्रत्याशियों के लड़ने से गांव का वोट न बंटे और आपस में बैर न हो। यही सबकी इच्छा है। सभी इस इच्छा का पूरी तरह पालन करेंगे।
प्रत्याशी सुनील चौहान ने कहा कि पूरे गांव में मिलकर आंतरिक चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इसमें हुए फैसले का सभी सम्मान करेंगे। प्रत्याशी सत्यपाल सिंह ने कहा कि गांव में कोई नहीं चाहता कि चुनाव को लेकर कोई विवाद हो। इसी कारण हम सबने मिलकर यह आंतरिक चुनाव कराया है।
फैसले का पालन नहीं करने पर होगा बहिष्कार
चुनाव समिति के वरिष्ठ सदस्य अमर सिंह ने बताया कि पूरे गांव और प्रत्याशियों की सहमति से ही आंतरिक चुनाव की प्रक्रिया पूरी की गई है। सभी इसका पालन करेंगे। यदि कोई नतीजे के खिलाफ जाता है तो पूरा गांव उसका बहिष्कार करेगा।
चर्चा में आ गया औरंध
ग्राम पंचायत के चुनाव से पहले आंतरिक चुनाव कराके अरौंधा गांव में चर्चा में आ गया। सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही हे। लोग इसे एक आदर्श फैसले के रूप में मान रहे है। लोगों का का कहना है कि इस तरह आंतरिक चुनाव कराने से गांव में होने वाली दुश्मनी पर रोक लगेगी।