हत्यारन शबनम को बचाने आशिक सलीम चल सकता है एक और चाल, जानें पूरा मामला
शबनम के वकील शमशेर सैफी के मुताबिक, शबनम और सलीम की फाइलें सेशन कोर्ट से ही साथ चल रही हैं। अदालत ने दोनों को साथ फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी दोनों की फाइलें साथ चलीं। राष्ट्रपति ने भी दोनों की दया याचिका साथ खारिज की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी सिर्फ शबनम की पुनर्विचार याचिका में याचिका खारिज की है, सलीम की विचाराधीन है।
मेरठ। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में हुए नरसंहार की दोषी शबनम के डेथ वारंट पर कभी भी मुहर लग सकती है। जहां एक तरफ उसके गांव वाले उसकी फांसी का इंतजार कर रहे है। वही उसके वकील उसकी फांसी को कुछ दिन और टलवाने के लिए पेंच लगा रहे है।
पहले शबनम के बारह वर्षीय बेटे ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से अपनी मम्मी को माफ करने की गुहार लगाई, उसके बाद शबनम में ने भी दया याचिका को पुनः दायर कर दिया और अब एक और पेंच फंस सकता है। इस नए मामले में उसका प्रेमी उसे बचाता दिख रहा है।
2008 में हुई थी सात लोगों की हत्या
मालूम हो कि यूपी के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में 2008 में परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या शबनम और उसके प्रेमी ने मिलकर की थी। अब उनके किए पर सजा मिलने का समय आ गया है। लेकिन सजा से बचने के लिए आरोपी जुगत लगा रहे है।
सलीम की याचिका है विचाराधीन
शबनम के वकील शमशेर सैफी के मुताबिक, शबनम और सलीम की फाइलें सेशन कोर्ट से ही साथ चल रही हैं। अदालत ने दोनों को साथ फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी दोनों की फाइलें साथ चलीं। राष्ट्रपति ने भी दोनों की दया याचिका साथ खारिज की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी सिर्फ शबनम की पुनर्विचार याचिका में याचिका खारिज की है, सलीम की विचाराधीन है।
डेथ वारंट जारी होने पर हाई कोर्ट जा सकती है शबनम वकीलों का कहना है कि सलीम की पुनर्विचार याचिका विचाराधीन रहते शबनम डेथ वारंट जारी होने पर हाईकोर्ट जा सकती हैं, क्योंकि दोनों को एक जुर्म में साथ फांसी की सजा सुनाई गई है। ऐसे में सजा भी समान रूप से मिलनी चाहिए।