उच्च शिक्षण संस्थानों में अगले सत्र से एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की होगी शुरुआत, यह होगा फायदा
प्रदेश में यह कदम शिक्षा मंत्रालय की तर्ज पर उठाया गया है। असल में, शिक्षा मंत्रालय नेशनल एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट संचालित कर रहा है। यह सुविधा ए ग्रेड संस्थानों व इंस्टीट्यूट आफ एक्सीलेंस व अन्य उत्कृष्ट उच्च शिक्षण संस्थानों को मिल रही है। यूपी के अधिकांश विश्वविद्यालय व महाविद्यालय इस श्रेणी में नहीं आते हैं।
लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यूपी के उच्च शिक्षण संस्थानों में बड़े बदलाव होंगे। प्रदेश सरकार अगले सत्र से संस्थानों में एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट शुरू कर रही है।
इस प्लेटफार्म पर छात्रों को संस्थान की आधारभूत सुविधाओं की जानकारी मिलेगी, जिससे उन्हें प्रवेश लेने में किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही प्रवेश पाने वालों का डेटा बैंक भी तैयार किया जाएगा। राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्च शिक्षा निदेशक को इस संबंध में शासन ने निर्देश जारी कर दिया है।
प्रदेश में यह कदम शिक्षा मंत्रालय की तर्ज पर उठाया गया है। असल में, शिक्षा मंत्रालय नेशनल एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट संचालित कर रहा है। यह सुविधा ए ग्रेड संस्थानों व इंस्टीट्यूट आफ एक्सीलेंस व अन्य उत्कृष्ट उच्च शिक्षण संस्थानों को मिल रही है।
यूपी के अधिकांश विश्वविद्यालय व महाविद्यालय इस श्रेणी में नहीं आते हैं। ऐसे में प्रदेश के छात्रों को क्रेडिट ट्रांसफर, एग्जिट व री-इंट्री की सुविधा देने के लिए प्रदेश स्तरीय एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट को विकसित किया गया है। इस प्लेटफार्म पर उच्च शिक्षण संस्थान में उपलब्ध आधारभूत सुविधाएं, प्रयोगशाला, उपकरण व शिक्षकों की जानकारी रहेगी।
छात्रों को यह होगा फायदा
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अगले शैक्षिक सत्र से प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्राओं का डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा। इसका साफ्टवेयर चार से छह माह में एनआइसी के सहयोग से प्रदेश के विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों व शिक्षकों के निर्देशन में किया गया है। इस कदम से छात्र अपना क्रेडिट आसानी से ट्रांसफर कर सकेंगे।
विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में पारदर्शिता आएगी, डिजीलाकर पर विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री, अंकपत्र आदि भी मिलेंगे। राज्य और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्च शिक्षा निदेशक को इस संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार इसकी नियमित निगरानी पर भी विचार कर रही है,ताकि कोई कॉलेज प्रबंधन छात्रों के साथ धोखा नहीं कर सकें।
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