दुष्कर्म पीड़िता का आरोप, पुलिस ने आरोपित को बचाने उसे 7 दिन बंधक बनाकर रखा
यह मामला संतककबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र का है। पीड़ित युवती ने एसपी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। युवती ने दरोगा पर आरोप लगाया कि वह आराेपितों से मिले हैं। सात दिनों तक उसे एक कमरे में बंद किए रहे।
गोरखपुर। दुष्कर्म के आरोपित को बचाने के लिए एक दरोगा ने दुष्कर्म पीड़िता को ही बंधक बना लिया।
दरोगा ने पीड़ित युवती को शहर के एक निजी मकान के एक कमरे में सात दिन तक बंधक बनाए रखा। यह मामला संतककबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र का है। पीड़ित युवती ने एसपी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
युवती ने दरोगा पर आरोप लगाया कि वह आराेपितों से मिले हैं। सात दिनों तक उसे एक कमरे में बंद किए रहे। इस दौरान आरोपितों के पक्ष में बयान दिलवाने का दबाव बनाया।
यह है मामला
एसपी के दिए अपने प्रार्थना पत्र में पीड़िता ने कहा है कि वह 17 वर्ष की है। गोरखपुर जनपद के सहजनवां थाना क्षेत्र के ओड़वलिया निवासी तस्लीम पुत्र तौफिक ने कुछ दिन पूर्व उसके साथ दुष्कर्म किया।
विरोध करने पर आरोपित ने कहा कि वह उससे शादी करेगा। बाद में उसने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत जब पुलिस से की तो आरोपित समेत तीन के खिलाफ दुष्कर्म के साथ अन्य गंभीर धाराओं में खलीलाबाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ।
जांच इंडस्ट्रियल एरिया के चौकी प्रभारी उदयभान मिश्र को मिली। पीड़िता ने कहा कि दरोगा ने बिना किसी महिला सिपाही के एक दिन उसके घर पर पहुंचे और उसे बाइक पर बैठाकर घटनास्थल पर ले गए और फिर देर शाम को वह घर छोड़ा।
दूसरे दिन भी वह उसके घर पहुंचे और माता-पिता की मर्जी के खिलाफ उसे लेकर अपने चौकी ले गए, यहां आरोपित बैठा था। इसके बाद दरोगा ने आरोपित के पक्ष में बयान देने का दबाव बनाया।
विरोध करने पर वह धमकी पर उतर आए। बाद में कोतवाली ले गए और एक महिला सिपाही के साथ उसे लेकर शहर के एक कमरे में बंद कर दिया। सात दिन तक उसे कमरे में रखा गया और आरोपित के पक्ष में बयान देने का दबाव बनाया गया। जब उसने आरोपित के पक्ष में बयान दे दिया तभी उसे छोड़ा गया।
इस मामले में अरोपी दरोगा उदयभान मिश्र का कहना है कि लड़की को न्याय दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। जांच के क्रम में उससे पूछताछ की गई है। उसका आरोप निराधार है।
खलीलाबाद पुलिस क्षेत्राधिकारी गया दत्त मिश्र का कहना है कि मामला संज्ञान में है। लड़की का आरोप गलत है। जनपद में नारी निकेतन नहीं है। इसलिए एक महिला सिपाही के पास लड़की को रखा गया था। चिकित्सकीय परीक्षण और बयान में समय लगता है।