कोरोनिल पर सरकारी आपत्ति के बाद आचार्य बालकृष्ण ने कही बड़ी बात

टीम भारत दीप |
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बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और उनके संस्थान के डाक्टर
बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और उनके संस्थान के डाक्टर

बाबा रामदेव योग के प्रशिक्षक हैं और उनके औषधि वाले विभाग को लीड करते हैं आचार्य बालकृष्ण। आचार्य बालकृष्ण पतंजलि संस्थान के एमडी भी हैं और उनकी आयुर्वेद में विशेषज्ञता मानी जाती है।

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया भयभीत है। करीब तीन महीने से चल रही तालाबंदी के बीच दुनिया भर के वैज्ञानिक इस महामारी के इलाज के लिए वैक्सीन खोजने में जुटे हैं। इसी भारत के भगवाधारी सन्यासी ने कोरोना की दवा खोजने का दावा करके पूरी दुनिया को चैंका दिया है। ये सन्यासी कोई और नहीं योगगुरू स्वामी रामदेव हैं। लोग इन्हें सम्मानपूर्वक बाबा रामदेव भी कहते हैं। स्वामी रामदेव पतंजलि योगपीठ के संस्थापक होने के साथ पतंजलि संस्थान के मालिक भी हैं। 

इसी संस्थान का हिस्सा है दिव्य फार्मेसी जिसमें आयुर्वेदिक औषधि का निर्माण किया जाता है। पतंजलि  के प्रोडक्ट और दिव्य फार्मेसी की दवाइयां दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। कोरोना महामारी के बाद जब भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने में च्यवनप्राश, काढ़ा आदि औषधि लाभकारी हैं, तब से पतंजलि के च्यवनप्राश की डिमांड काफी बढ़ गई है। बाबा रामदेव योग के प्रशिक्षक हैं और उनके औषधि वाले विभाग को लीड करते हैं आचार्य बालकृष्ण। आचार्य बालकृष्ण पतंजलि संस्थान के एमडी भी हैं और उनकी आयुर्वेद में विशेषज्ञता मानी जाती है। 

मंगलवार को जब बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और उनके संस्थान के डाक्टरों ने प्रेस कांफेस कर ये दावा किया कि उनकी टीम ने कोरोना के उपचार की दवा खोज ली है, तो एकदम से पूरा देश अचंभित हो गया। मीडिया में खबर आने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल नाम की इस दवा के प्रचार को यह कहकर बैन कर दिया कि पतंजलि संस्थान इस दवा को कोरोना की दवा बताकर न बेचे। 

इसके बाद स्वामी रामदेव के दावे पर सवाल उठने लगे। हालांकि रामदेव ने पहले ही कह दिया कि उन्होंने इस दवा का सरकार के नियमों के अनुसार परीक्षण कर लिया है। रामदेव ने कहा कि पतंजलि संस्थान ने राजस्थान के जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस के साथ मिलकर इस दवा को जांचा है। इसी के बाद वह यह दावा कर रहे हैं। 

देर शाम आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी कि सरकार के साथ हुए कम्युनिकेशन गैप को दूर कर लिया गया है। यह सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने वाली है। हम सभी परीक्षण प्रक्रिया से गुजर कर ही इस नतीजे पर पहुंचे हैं। बुधवार को उन्होंने सरकार की ओर से जारी पत्र अपने ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा कि आयुष मंत्रालय के साथ विवाद की पूर्णाहुति- 

 

इसके अलावा सोशल मीडिया पर नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस जयपुर का एक पत्र भी वायरल हुआ जिसमें सरकार को पूरे परीक्षण की जानकारी देने की भी बात की गई। इस सबके बाद इस मामले पर सरकार थोड़ा नरम पड़ती नजर आ रही है। बुधवार को आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि हमें ये जानकारी मिली है कि बाबा रामदेव के संस्थान ने कोई दवा बनाई है। यह कोरोना की दवा है, इसे जांच के बाद ही कहा जाएगा।

हालांकि रामदेव के इस प्रयास को बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इसे लेकर ऐलोपैथी चिकित्सकों के अलग-अलग मत हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति अपने आप में संपूर्ण और विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। कोरोना पर जहां सभी शोध में जुटे हैं, ऐसे में पतंजलि संस्थान के दावे पर विचार करना जरूरी है। 


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