अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लमानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू, किया जाएगा देश से बाहर

टीम भारत दीप |

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कुल 13600 विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कुल 13600 विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।

प्रशासन के मुताबिक, अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। सिलसिलेवार तरीके से इन्हें हिरासत में लेकर वापस भेजा जाएगा। बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से रोहिंग्या नागरिकों को वापस भेजने को चुनावी मुद्दा भी बनाया था। बंगाल और असम में चुनाव के दौरान यह कार्रवाई हो रही है।

जम्मू-कश्मीर। पूरे देश में इस समय रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अभियान चल रहा है। इस क्रम में जम्मू -कश्मीर में म्यांमार से आकर अवैध रूप से रह रहे हजारों रोहिंग्याओं के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई शुरू की है। पिछले दो दिनों से रोहिंग्याओं के खिलाफ यह कार्रवाई जारी है।

जम्मू में पहले फेज में हुई कार्रवाई में 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में लेकर हीरानगर जेल में बने सेंटर में भेजा गया है। इसके बाद पूरी जांच कर गृह और विदेश मंत्रालय की सहमति लेकर इन्हें वापस भेजा जाएगा।

प्रशासन के मुताबिक, अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। सिलसिलेवार तरीके से इन्हें हिरासत में लेकर वापस भेजा जाएगा। बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से रोहिंग्या नागरिकों को वापस भेजने को चुनावी मुद्दा भी बनाया था। बंगाल और असम में चुनाव के दौरान यह कार्रवाई हो रही है। वहां रोहिंग्या समुदाय एक बड़ा मुद्दा हैं। इसलिए कार्रवाई की टाइमिंग को इन राज्यों के चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक रोहिंग्या 

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कुल 13600 विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की है। जम्मू में भी इनकी बड़ी संख्या है।

जम्मू के बेली चराना और सांबा में भी इनकी बड़ी आबादी है। कई बार रोहिंग्याओं का नाम ड्रग रैकेट जैसे अपराधों में सामने आया था। जम्मू के सुंजवां मिलिट्री स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में भी इनकी भूमिका सामने आई थी।

स्थानीय लोग सरकार के कदम से खुश

जम्मू के स्थानीय निवासी रोहिंग्याओं की पहचान उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया से खुश नजर आते हैं। पेशे से डॉक्टर और जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रवक्ता डॉताहिर चौधरी बठिंडी इलाके के रहने वाले हैं।

वे कहते हैं कि मैं इस प्रक्रिया का स्वागत करता हूं। ऐसा,इसलिए नहीं क्योंकि मैं बीजेपी से हूं। कोई भी स्थानीय नागरिक इस बात से सहमत नहीं होगा कि कोई विदेशी गलत तरीके से हमारे इलाके में रहे।

विदेशियों को हीरानगर भेजा जा रहा है 

 सरकार ने अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। इन्हें गाड़ियों में बैठकर हीरानगर भेजा जा रहा है। जम्मू के सांबा और कठुआ में काफी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी रह रहे हैं।

जम्मू में इनकी शिनाख्त करने और इन्हें हिरासत में लेने की जो कार्रवाई शुरू हुई है उसका स्वागत है। देश के कई हिस्सों से लोग आकर जम्मू-कश्मीर में बिजनेस करते हैं, लेकिन अवैध तरीके से रह रहे लोगों को तो बाहर करना ही होगा।

20 साल पहले बसना किया शुरू 

सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में म्यांमार के रोहिंग्या करीब 20 साल पहले बसने शुरू हुए। 2002 में पीडीपी और कांग्रेस की सरकार के समय में इनकी बसावट में तेजी आई। साल दर साल यह सिलसिला बढ़ता रहा।

बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के जम्मू.कश्मीर चुनाव में इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में जगह दी। 2017 में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की शिनाख्त की प्रक्रिया शुरू करवाई।

मालूम हो कि मूल रूप से बांग्लादेश और म्यांमार मे रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिम रोजगार की तलाश में विश्व के अलग-अलग देशों में अवैध रूप से रहते है। कम पढे लिखे होने की वजह से इन्हें अच्छा काम नहीं मिलता इसलिए अधिकांश लोग जुर्म के रास्ते में पर चलने लगते है।

इनके द्वारा किए गए अपराध के बाद ही इन्हें पहले म्यांमार से पलायन को मजबूर होना पडा अब भारत सरकार भी इनके खिलाफ अभियान चला रही है। 


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