गांधी परिवार से तीन पीढ़ी का रिश्ता रखने वाले अहमद पटेल की कमी हमेशा खलेगी

टीम भारत दीप |

अहमद पटेल को पर्दे के पीछे से राजनीति करने के लिए जाना जाता था।
अहमद पटेल को पर्दे के पीछे से राजनीति करने के लिए जाना जाता था।

अहमद पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले के पिरामण गांव में हुआ था। शुरू से ही पटेल का झुकाव राजनीतिक की ओर रहा है। अहमद पटेल की शादी 1976 में मेमूना अहमद से हुई। इन दोनों के दो संतानों में एक बेटा और एक बेटी है।

गुजरात। अहमद पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले के पिरामण गांव में हुआ था। शुरू से ही पटेल का झुकाव राजनीतिक की ओर रहा है।

अहमद पटेल की शादी 1976 में मेमूना अहमद से हुई। इन दोनों के दो संतानों में एक बेटा और एक बेटी है। इनके बच्चे मीडिया के सामने बहुत ही कम बार ही आते हैं। इन्हें गांधी-नेहरू परिवार के काफी करीब का माना जाता था।

राजनीतिक सफर: पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की थी, जिसके बाद आगे पंचायत के सभापति भी बन गए। बाद में इन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया और उसके बाद राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।

इन्दिरा गांधी के आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए थे, जिसमें इन्दिरा गांधी की हार हुई थी। इसी चुनाव में इनकी जीत हुई और पहली बार पहली बार लोकसभा में आए थे।ये तीन बार लोकसभा सभा सांसद(1977, 1980,1984)और पांच बार राज्यसभा सांसद(1993,1999, 2005, 2011, 2017 वर्तमान) रहे।

कांग्रेस की तीन पीढ़ियों से अहमद पटेल का नाता: दिवंगत नेता अहमद पटेल का कांग्रेस के गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों इंदिरा,राजीव और सोनिया व अब राहुल गांधी से गहरा रिश्तना रहा है। इस समय अहमद पटेल को सोनिया गांधी का सबसे विश्वसनीय सलाहकार माना जाता था।

अहमद पटेल कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों से लेकर औद्योगिक घरानों तक में पहुंच रखते थे। गुजरात की राजनीति में वह कांग्रेस के लिए अहसान जाफरी के बाद सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। अहसान जाफरी, गुजरात दंगों के दौरान मारे गए थे। गुजरात से अहमद पटेल फिलहाल एकमात्र मुस्लिम सांसद थे।

मुश्किल समय में भी जीते थे पटेल: अहमद पटेल 1977 में 26 साल की उम्र में भरुच से लोकसभा चुनाव जीतकर तबके सबसे युवा सांसद बने थे। तब देश में आपातकाल के खिलाफ जनआक्रोश से पनपी जनता पार्टी की लहर चल रही थी।

ऐसे में उनका जीतना इंदिरा गांधी समेत सभी राजनीतिक पंडितों के लिए एक बेहद चौंकाने वाली घटना थी। वे 1993 से राज्यसभा सदस्य हैं।अहमद पटेल की रुचि कभी भी सामने आकर राजनीति करने में नहीं रही है। वे पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे हैं। 

अहमद पटेल के बारे में  रोचक तथ्य 

1.अहमद पटेल पूर्ण रूप  से पारिवारिक आदमी हैं। वो टीवी कम देखते हैं, अहमद मानते हैं कि आम भारतीय की नब्ज़ जानने के लिए अखबार बेस्ट हैं। घर का खाना खाते हैं। कोशिश करते हैं कि फ्लाइट न लेनी पड़े और अधिकतर ट्रेन से यात्रा करते हैं।

2.अहमद पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी रहे। 1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। 

3.सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक पटेल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रहे।  कांग्रेस के तालुका पंचायत अध्यक्ष के पद से करियर शुरू करने वाले पटेल जनवरी 1986 में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने और अक्टूबर 1988 तक इस पद पर रहे। 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो अहमद पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया, वो अब तक हैं।

4.1996 में पटेल को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था। उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। साल 2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से तकरार होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया था और 2001 में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए। 

5.संगठन में इन पदों के अलावा वो सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, मानव संसाधन मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय की मदद के लिए बनाई गईं कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं। साल 2006 से वो वक्फ संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य हैं। 

6.अहमद पटेल गुजरात यूथ कांग्रेस कमेटी के सबसे युवा अध्यक्ष तो रहे ही, वो अहसान जाफरी के अलावा दूसरे ऐसे मुस्लिम हैं, जिन्होंने गुजरात से लोकसभा चुनाव जीता। 
7.अहमद पटेल से सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधाी और प्रियंका गांधाी तक सलाह लेते थे।
8. अहमद पटेल मुश्किल समय में ही सामने आते थे, वरना अधिकांश समय बेहद शांतपूर्ण तरीके से राजनीति करने के लिए जाने जाते है। 


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