प्रियंका के बाद अखिलेश का यूपी सरकार पर हमला, भाजपा को बताया नाकाम

टीम भारत दीप |
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अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

सपा प्रमुख ने कहा-लॉकडाउन हो या फिर अनलॉक, भाजपा सरकार श्रमिकों में विश्वास जगाने में पूरी तरह नाकाम है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर पिछले कुछ दिनों से प्रियंका गांधी हमलावर हैं, अब इस कड़ी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी नाम जुड़ गया है। अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि सवा तीन साल से ज्यादा वक्त में जनता के साथ छल-कपट की राजनीति करने के अलावा उसने कोई काम अपने नाम नहीं किया है। लॉकडाउन हो या फिर अनलॉक, भाजपा सरकार श्रमिकों में विश्वास जगाने में पूरी तरह नाकाम है। 

'झूठ ही भाजपा का सच'
अखिलेश यादव ने रविवार को कहा, कि वस्तुत: झूठ ही भाजपा का सच है। प्रदेश के मुखिया जिस तरह बिना जमीन या खेत के फसल लहलहा देते हैं और उसी तरह हर श्रमिक को घर बैठे रोजगार दे रहे हैं। एक एमओयू से 10 उद्योग जादू की छड़ी से पैदा कर देते हैं। यह बात अलग है कि प्रदेश विकास के मामले में पिछड़ता जा रहा है। 

'मजदूर वापस जाने की क्यों सोचते'
अखिलेश यादव ने कहा कि, आखिर श्रमिक यह क्यों कह रहे हैं कि अगर प्रदेश में रोजगार की व्यवस्था होती तो वे वापस जाने की क्यों सोचते। प्रदेश में दूसरे स्थानों से केवल अकुशल श्रमिक ही नहीं आए हैं, उनमें कई कुशल श्रेणी के लोग भी हैं। कोई उद्योग लगा नहीं है, जहां भाजपा सरकार उन्हें खपाएगी। 

'सपा सरकार की योजनाएं बंद की'
समाजवादी सरकार ने जो विश्वस्तरीय योजनाएं बनाई थीं उनको रोककर भाजपा ने अतिकुशल मानव शक्ति के उपयोग का रास्ता ही बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट से निपटने में जिस राज्य सरकार को मॉडल बताया है, उसमें करोना मरीजों की संख्या रोज बढ़ती जाती है। प्रमाण पत्र जारी करने की इतनी जल्दी भी क्या ? लोकतंत्र के साथ ऐसा मजाक कहीं नहीं सुना गया होगा।
 
'कई जिलों में बंद हैं मनरेगा'  
सपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में मनरेगा का काम तीन वर्षों से बंद है। मनरेगा मजदूरों को इस बीच कोई दूसरा काम भी नहीं मिल पाया। इससे श्रमिकों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। किसी तरह कर्ज लेकर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी जुटाना मुश्किल है। वैसे भी मनरेगा में एक वर्ष में 100 दिन ही काम कराने की व्यवस्था है। ऐसे तमाम श्रमिक जो 265 दिन बिना कोई काम रहते हैं, अर्द्ध बेकारी के शिकार हैं। उन्हें लगभग बेरोजगारों की श्रेणी में भी रखा जा सकता है। उनके बारे में प्रदेश सरकार की कोई योजना नहीं है।


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