कानून के मुताबिक चलने के बजाय, बार-बार बातचीत का क्यों लिया जा रहा सहाराः हाईकोर्ट
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता ने 11 जून 2020 के उस लेटर का जिक्र किया जिसमें समझौते के लिए नियुक्त अधिकारी द्वारा केंद्र सरकार को यह जानकारी दी गई कि याची बैंक यूनियन और बैंक के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत विफल हो चुकी है।
बैंकिंग डेस्क। बैंककर्मियों के वेतन और पेंशन के मुद्दे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में वी बैंकर्स की तरफ से दायर याचिका पर गुरूवार को दोबारा सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट सरकार की ओर से पेश वकील के जवाबों से संतुष्ट नहीं दिखा।
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने मामले में 22 अक्टूबर को एएसजी को कोर्ट में सभी जवाबों के साथ पेश होने को कहा है। कोर्ट का कहना है कि एक बार वार्ता विफल होने के बाद कानून के मुताबिक चलने के बजाय बातचीत का सहारा क्यों लिया जा रहा है।
बता दें कि बैंककर्मियों की यूनियन वी बैंकर्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैंककर्मियों के वेतन और पेंशन के मुद्दे को लेकर याचिका दायर की थी। इसमें बैंककर्मियों को वेतन आयोग के दायरे में लाने और पेंशन की व्यवस्था पर सरकार की ओर से आवश्यक कदम न उठाने की बात कही गई थी।
6 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा और मामले में अगली तारीख 15 अक्टूबर तय की थी। गुरूवार को सरकार ओर से पेश अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने श्रम मंत्रालय की ओर से प्राप्त लेटर को कोर्ट में प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया है कि मामला केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त के पास लंबित है।
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने इस मसले पर बताया है कि मसले को आपसी बातचीत के जरिए सुलझाया जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद तारीख तय की जाएगी।
इस पर जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता ने 11 जून 2020 के उस लेटर का जिक्र किया जिसमें समझौते के लिए नियुक्त अधिकारी द्वारा केंद्र सरकार को यह जानकारी दी गई कि याची बैंक यूनियन और बैंक के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत विफल हो चुकी है।
ऐसे में कोर्ट ने कहा कि जब एक बार बातचीत विफल हो चुकी है तो कानून के मुताबिक चलने के बजाय बार-बार बातचीत का सहारा क्यों लिया जा रहा है। इस पर सरकारी वकील कोई जवाब नहीं दे पाए। इस पर कोर्ट ने एडीशनल साॅलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह को 22 अक्टूबर को कोर्ट में सभी जानकारी के साथ प्रस्तुत होने को कहा है।
वी बैंकर्स को बंधी उम्मीद
हाईकोर्ट में गुरूवार की सुनवाई के बाद याची यूनियन वी बैंकर्स को न्याय की उम्मीद बंध गई है। कोर्ट ने अपने स्टेटमेंट में सेक्शन 12 (5) का जिक्र किया। वी बैंकर्स का कहना है कि आज की सुनवाई से साफ है कि यदि सरकार इस मामले में सही जवाब नहीं दे पाती है तो नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल को वेतन और पेंशन का मसला सौंपे जाने की पूरी उम्मीद है।
उनका कहना है कि सरकार अपने जवाब में बार-बार आईबीए का जिक्र कर रही है, जबकि आईबीए न तो कोई आधिकारिक संस्था है न ही ये ट्रेड यूनियन के रूप में स्थापित है।
वी बैंकर्स का कहना है कि यदि मामले को केंद्रीय न्यायाधिकरण को सौंपा जाता है कि तो बैंककर्मियों के वेतन निर्धारण की 54 साल पुरानी व्यवस्था में बदलाव की पूरी उम्मीद है। हालांकि मामला अभी लंबित है, ऐसे में सब कुछ कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा।