पार्कों और खेल के मैदानों पर अतिक्रमण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात
रामभजन सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने कहा है कि सभी पार्कों का स्थानीय निकायों की मार्फत ठीक से रखरखाव किया जाए ताकि आम लोग पार्कों का उपयोग कर सकें। कोर्ट ने कहा पार्कों में किसी को भी कूड़ा डालने, इकट्ठा करने या अन्य उपयोग में लाने की अनुमति न दी जाए।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा कि प्रदेश के सभी सार्वजनिक पार्कों और खेल के मैदानों से अतिक्रमण हटाया जाए।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट तीन माह में प्रस्तुत करने को कहा है। वहीं कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण राज्य का वैधानिक दायित्व है। रोजगार और राजस्व पर लोक स्वास्थ्य, जीवन एवं पर्यावरण को वरीयता दी जानी चाहिए।
बता दें कि रामभजन सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने कहा है कि सभी पार्कों का स्थानीय निकायों की मार्फत ठीक से रखरखाव किया जाए ताकि आम लोग पार्कों का उपयोग कर सकें।
कोर्ट ने कहा पार्कों में किसी को भी कूड़ा डालने, इकट्ठा करने या अन्य उपयोग में लाने की अनुमति न दी जाए। दरअसल, याची ने कहा था कि उसके आवास के सामने ही सेक्टर 11 विजय नगर, गाजियाबाद में स्थित नगर निगम के पार्क का अतिक्रमण कर लिया गया है।
उसका उपयोग वाहन खड़ा करने के लिए किया जा रहा है जबकि जिलाधिकारी ने कहा कि पार्क के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि निगम या प्राधिकरण पार्क के रखरखाव करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है। वे अपने वैधानिक दायित्व से बच नहीं सकते।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी पार्कों, खेल मैदानों का सही रखरखाव करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों को दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पार्क में कूड़ा फेंकना कानूनन अपराध है। ऐसा करने वाले पर अर्थ दंड और एक माह के जेल की सजा दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकायों की वैधानिक जिम्मेदारी है कि वह पार्कों खेल मैदानों की देखभाल करें। देश के स्वस्थ पर्यावरण के लिए यह जरूरी भी है। संविधान का अनुच्छेद 21 प्रदूषण मुक्त जीवन का अधिकार देता है।