इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6800 अतिरिक्त सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाने के निर्णय को सही ठहराया

टीम भारत दीप |

सभी पदों पर भर्ती के बाद सरकार ने 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की सूची जारी की थी।
सभी पदों पर भर्ती के बाद सरकार ने 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की सूची जारी की थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 जनवरी 2022 के एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में प्राथमिक सहायक शिक्षक के रूप में 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की नियुक्ति करने के फैसले पर रोक लगाई गई थी।

प्रयागराज। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में प्राथमिक सहायक शिक्षक के रूप में 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की नियुक्ति करने के निर्णय पर रोक लगा दी गई थी, अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 जनवरी 2022 के एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने एकल पीठ के निर्णय को सही माना। एकल पीठ ने कहा था कि यूपी सरकार विज्ञापन जारी किए बिना 69 हजार से अधिक उम्मीदवारों को नियुक्त नहीं कर सकती है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 जनवरी 2022 के एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया

जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में प्राथमिक सहायक शिक्षक के रूप में 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की नियुक्ति करने के फैसले पर रोक लगाई गई थी। यह निर्णय न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायाूिर्ति अज कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राहुल कुमार व अन्य की याचिकाओ को निस्तारित करते दिया है।

कोर्ट में दायर की गई थी याचिका

मालूम हो कि उच्च न्यायालय के समक्ष भारती पटेल और पांच अन्य द्वारा दायर एक याचिका में इस फैसले को चुनौती दी गई है। सरकार ने कोर्ट में त​र्क दिया है था कि कुछ आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों ने 2020 में हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर 2018 के विज्ञापन के अनुसार 69 हजार पदों पर की गई

नियुक्ति को चुनौती दी थी, बता दें कि मामले में यूपी सरकार द्वारा 2018 में जारी किए गए 69 हजार पदों पर शिक्षकों की भर्ती का उल्लेख किया गया था, सभी पदों पर भर्ती के बाद सरकार ने 6800 अतिरिक्त उम्मीदवारों की सूची जारी की थी।

एकल पीठ के आदेश को दी गई थी चुनौती

वहीं मामले में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों ने ​तर्क दियाा था कि उन्होंने सामान्य श्रेणी के लिए कट—आफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, इसलिए वे अनारक्षित पदों के लिए विचार करने और चुने जाने के हकदार हैं।  

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनवाई के बाद यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी, वर्तमान मामले में एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई नियुक्ति रिक्तियों के विज्ञापन के बिना करने की मांग की जाती है तो वह संविधान के अनुच्छेद-16 समान अधिकार का उल्लंघन होगा।

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