तेल के साथ ही लग सकता है यूपी वालों को महंगी बिजली का झटका, कंपनियां कर रही तैयारी
आपकों बता दे कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बिजली की दरों के संबंध में कंपनियों को 30 नवंबर तक ही विद्युत नियामक आयोग में एआरआर प्रस्ताव दाखिल कर देना चाहिए था, लेकिन अबकी विधानसभा चुनाव होने के कारण ऐसा नहीं किया गया जिससे उसकी रेटिंग भी खराब हो रही थी।
लखनऊ। पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है। मतगणना के बाद प्रदेश वासियों को महंगे डीजल-पेट्रोल के साथ ही महंगी बिजली का झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरों के निर्धारण संबंधी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
कंपनियों ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग में 85,500 करोड़ रुपये एआरआर का प्रस्ताव दाखिल किया। कंपनियों द्वारा एआरआर में 6700 करोड़ रुपये के दिखाए गए गैप की भरपाई के लिए बिजली की मौजूदा दरों में इजाफा हो सकता है।
हालांकि, कंपनियों ने एआरआर के साथ आयोग में संबंधित टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है। माना जा रहा है कि नई सरकार का रुख देखकर ही बिजली की दरों के संबंध में कंपनियां आगे कदम बढ़ाएंगी।
आपकों बता दे कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बिजली की दरों के संबंध में कंपनियों को 30 नवंबर तक ही विद्युत नियामक आयोग में एआरआर प्रस्ताव दाखिल कर देना चाहिए था, लेकिन अबकी विधानसभा चुनाव होने के कारण ऐसा नहीं किया गया जिससे उसकी रेटिंग भी खराब हो रही थी।
सात फरवरी को मतदान की प्रक्रिया पूरी होते ही मंगलवार को बिजली कंपनियों ने एआरआर सहित ट्रू-अप वर्ष 2020-21 और एनुअल परफार्मेंस रिव्यू (एपीआर) वर्ष 2021-22 को आयोग में दाखिल कर दिया। तकरीबन 85,500 करोड रुपये का एआरआर दाखिल करने वाली बिजली कंपनियां अगले वित्तीय वर्ष में प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति के लिए 65 हजार करोड़ रुपये से लगभग 1.20 लाख मिलियन यूनिट(एमयू) बिजली खरीदेंगी।
घाटे की भरपाई की तैयारी
मौजूदा बिजली दर से मिलने वाले राजस्व और खर्च का आकलन करते हुए कंपनियों ने लगभग 6700 करोड़ रुपये का गैप निकाला है। इसकी भरपाई के लिए कंपनियों को बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव भी आयोग को सौंपना चाहिए था लेकिन उसे भी अभी दाखिल नहीं किया गया है।
आयोग अब एआरआर प्रस्ताव का परीक्षण करेगा। प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले आयोग कमियों को दूर करने के लिए कंपनियों से कहेगा। आयोग को प्रस्ताव स्वीकार करने की तिथि से 120 दिनों के अंदर एआरआर पर निर्णय करना होता है। ऐसे में बिजली की दरों में इजाफे के प्रस्ताव को अगर नई सरकार हरी झंडी देती भी है तो जून के बाद ही उस पर अमल हो सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद ने भी तैयारी शुरू कर दी है ताकि नई सरकार का गठन होने के बाद जिस पार्टी की सरकार बनेगी,
उसके वचन पत्र व संकल्प पत्र के आधार पर दरों का प्रस्ताव दाखिल कराने की कोशिश की जा सके। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे लगभग 20500 करोड़ के एवज में बिजली दरों में कमी की मांग की जाएगी।
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