अमेरिका ने भी माना गंडक में मिलने वाली चेपुआ मछली को सेहत का खजाना

टीम भारत दीप |

चेपुआ मछली केवल गंडक नदी में ही पाई जाती है।
चेपुआ मछली केवल गंडक नदी में ही पाई जाती है।

नेपाल से निकलकर बिहार होते हुए यूपी पहुंचने वाली गंडक नदी में एक विशेष प्रकार की मछली पाई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में चेपुआ मछली कहते है। गंडक से निकालकर इसे आसपास के बाजार ही नही बल्कि अमेरिका तक बेचा जा रहा है। इस मछली की अमेरिका में बहुत मांग है। अमेरिका ने इस मछली पर विशेष अध्ययन कराया।

कुशीनगर। नेपाल से निकलकर बिहार होते हुए यूपी पहुंचने वाली गंडक नदी में एक विशेष प्रकार की मछली पाई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में चेपुआ मछली कहते है।

गंडक से निकालकर इसे आसपास के बाजार ही नही बल्कि अमेरिका तक बेचा जा  रहा है। इस मछली की अमेरिका में बहुत मांग है। अमेरिका ने इस मछली पर विशेष अध्ययन कराया। अध्ययन में पता चला कि यह मछली सेहत के लिए काफी लाभप्रद है।

इसके खाने से इंसान को कई सूक्ष्म पोषक तत्व ​आसानी से मिल जाते है। वैज्ञानिकों ने बताया कि चेपुआ मछली खाने से ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के साथ ही प्रोटीन, जिंक, मैगनीशियम, कैल्सियम, आयरन और पोटेशियम जैसे तमाम पोषक तत्व मिलते है।  

मालूम हो कि चेपुआ मछली हिल्सा सॉलमन मछली से भी यह पौष्टिक है। इस मछली की खासियत यह भी है कि इसका कोई भी हिस्सा बेकार नहीं जाता इसका कांटा भी खाया जाता है। 

भारतीय उपमहाद्वीप की मछलियों में मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी के लिए अमेरिकन फूड सोसायटी ने भारत, नेपाल और बांग्लादेश के वैज्ञानिकों की मदद से 2015 में एक अध्ययन शुरू कराया। करीब दो साल तक चला । 

यह शोध इस वर्ष मार्च में अमेरिकी फूड जनरल फूड्स के सी-फूड्स विशेषांक में प्रकाशित हुआ है। शोध के दौरान चेपुआ में काफी मात्रा में ओमेगा थ्री मिलने की पुष्टि हुई। फिशरीज के जानकार तो यहां तक दावा करते हैं कि जो सप्ताह मे दो बार चेपुआ खाने वाले को अलग से किसी तरह के फूड सप्लीमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। 

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में जूलॉजी के प्रोफेसर विनय कुमार सिंह बताते हैं कि नेपाल में भारत के सहयोग से 2016 में एक स्टडी की गई। इसमें पाया गया कि इस नदी में ऑक्सीजन का लेवल किसी भी मौसम में 9 एमल प्रति लीटर से कम नहीं होता। पीएच भी इसी अनुसार संतुलित रहता है।

चेपुआ की ब्रीडिंग के लिए इस नदी का करंट व वातावरण मुफीद है। इसीलिए यह मछली केवल इसी नदी में यह पायी जाती हैं। पहाड़ से प्रचुर मात्रा में बहकर आने वाले मिनरल चेपुआ को अधिक पौष्टिक बनाते हैं।


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