प्राइवेट-सरकारी का फर्क जानना है तो अमूल के एमडी की ये बात समझनी होगी

टीम भारत दीप |

अमूल संघ से देशभर के 36 लाख किसान जुड़े हैं।
अमूल संघ से देशभर के 36 लाख किसान जुड़े हैं।

लाॅकडाउन के कारण जहां अन्य कंपनियों ने लोगों की जरूरत का सामान बनाने तक को हाथ खड़े कर दिए, वहीं अमूल ने दुगनी स्पीड से काम करके देश के घर-घर तक दूध पहुंचाने का काम किया।

सोशल मीडिया डेस्क। गुजरात काॅपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन जिसे आप अमूल के नाम से जानते हैं, देश की तेजी से बढ़ती सहकारी कंपनी है। 1946 में अपनी स्थापना से आज तक अमूल 52000 करोड़ का कारोबार कर चुकी है। 

कोरोना संकट के दौरान लाॅकडाउन के कारण जहां अन्य कंपनियों ने लोगों की जरूरत का सामान बनाने तक को हाथ खड़े कर दिए, वहीं अमूल ने दुगनी स्पीड से काम करके देश के घर-घर तक दूध पहुंचाने का काम किया। 

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में अमूल के एमडी रूपिंदर सिंह सोढी ने कंपनी की सफलता का राज ग्राहक और साझीदार के हितों की रक्षा करना बताया। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां सस्ता खरीदकर महंगा बेचने का उद्देश्य रखती हैं, लेकिन अमूल महंगा खरीदकर सस्ता बेचने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। 

लाॅकडाउन के दौरान उपजे हालातों में काम प्रभावित न होने की बात पर आरएस सोढी ने कहा कि लाॅकडाउन हमारे लिए कोई अचंभे की बात नहीं थी। चीन के हालातों को देखकर हमें अंदाजा हो गया था कि ये हालात आने वाले हैं। इसलिए हमने पहले से तैयारी करना शुरू कर दिया था। 

उन्होंने कहा कि अमूल के लिए विपरीत परिस्थितयां कोई नई बात नहीं है। अहमदाबाद में 1980 और 90 के दशक में हमने इससे भी खराब हालातों में अपने काम को प्रभावित नहीं होने दिया। लाॅकडाउन के दौरान हमारी कामयाबी का सबसे बड़ा हथियार एक रोबस्ट आईटी सिस्टम होना रहा। 

हमने अपनी क्षमता से दुगना माल ट्ांसपोर्ट करना शुरू कर दिया था। अपने 77 वेयरहाउस में हमने तैयार प्रोडक्ट को स्टोर किया और अपने हेड आॅफिस में टीम को दो भागों में बांटकर लगातार काम को जारी रखा। 

जब 24 मार्च को लाॅकडाउन की घोषणा प्रधानमंत्री ने की तो उनके सहयोगी किसानों में भी घबराहट पैदा हो गई थी लेकिन उन्होंने अपने दो मिनट के वीडियो संदेश के जरिए सभी में जोश भरने का काम किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने स्टाफ की सैलरी 40-50 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की और किसानों के मार्जिन को भी बढ़ाया। 

ग्राहकों में भरोसा पैदा करने के लिए कंपनी ने क्राइसिस के दौर में भी अपने विज्ञापन दोगुने कर दिए और ग्राहकों से अधिक से अधिक संपर्क बनाए रखकर अपने मार्केट को गिरने नहीं दिया। आरएस सोढी के अनुसार प्राइवेट कंपनियां अपना हित साधन पहले करती हैं लेकिन एक काॅपरेटिव संस्था के लिए उसके सहयोगी का फायदा सबसे बड़ा लक्ष्य होता है। 

आप को बता दें कि देश भर में अमूल के 84 प्लांट हैं जहां मिल्क प्रोडक्ट का उत्पादन किया जाता है।  अमूल संघ से देशभर के 36 लाख किसान जुड़े हैं और यह करीब ढाई करोड़ लीटर दूध का रोजाना उत्पादन करता है। बीते वित्तीय वर्ष में इसकी कुल आय 52000 करोड़ रही। कोरोना संकट के दौर में भी अमूल ने 18000 करोड़ का भुगतान अपने किसानों को अतिरिक्त धन के रूप में किया था।


संबंधित खबरें