इटावा लॉयन सफारी में पालें अपने नाम से जानवर, जानें पूरी शर्तें
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350 हेक्टेयर में फैले इटावा लॉयन सफारी में कुल 140 वन्य जीव हैं। इनके भोजन पर हर साल एक करोड़ 17 लाख 45 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। सफारी शुरू होने के बाद शासन ने 80 करोड़ रुपये का बजट दिया था। सफारी से पर्याप्त आमदनी न होने पर इस रकम के ब्याज से प्रशासन खर्च की भरपाई करता था।
इटावा। कोरोना वायरस के कारण प्रदेश के अधिकांश जू काफी दिनों तक बंद रहे, खुलने के बाद भी पर्यटक इतनी संख्या में नहीं पहुंच रहे कि टिकट के पैसे से जानवरों को भरपेट भोजन कराया जा सके।
सरकार ने जानवरों के भोजन के लिए अलग से बजट नहीं जारी किया। इस संकट से निपटने के लिए लॉयन सफारी इटावा ने एक नायाब तरीका निकाला है। प्रबंधन ने जानवरों पर आने वाले खर्च को कम करने के लिए उन्हें गोद देने की व्यवस्था शुरू की है।
अब कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के जानवर को एक साल के लिए गोद ले सकता है। गोद लेने के बाद जानवरों के रखरखाव और उनकी खुराक का खर्च उठाना पड़ेगा। गोद लेने वालों को सफारी प्रबंधन की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
मालूम हो कि 350 हेक्टेयर में फैले इटावा लॉयन सफारी में कुल 140 वन्य जीव हैं। इनके भोजन पर हर साल एक करोड़ 17 लाख 45 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। सफारी शुरू होने के बाद शासन ने 80 करोड़ रुपये का बजट दिया था।
सफारी से पर्याप्त आमदनी न होने पर इस रकम के ब्याज से प्रशासन खर्च की भरपाई करता था। सफारी के निदेशक राजीव मिश्रा का कहना है कि बीते कुछ सालों में ब्याज दर इतनी कम हो गई है कि इससे भी काम नहीं चल रहा है।इसके अलावा शासन से भी कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला।
शेरों पर खर्च हो रहे है 69.70 लाख
इटावा लॉयन सफारी के निदेशक राजीव मिश्रा ने बताया कि जानवरों के रखरखाव, उपकरण, बिजली, वाहन, मरम्मत और अन्य कार्यों के लिए 277.2 लाख रुपये की जरूरत है। अकेले शेरों के मांस पर 69.70 लाख रुपये सालाना खर्च है।
इसका प्रस्तावित बजट शासन को भेजा गया जो अभी तक नहीं मिल सका है। ऐसे में जानवरों को भूखा नहीं रखा जा सकता है। बजट न होने की वजह से तीन माह से कर्मचारियों का वेतन नहीं दिया जा सका है।
एक साल के लिए गोद मिलेंगे जानवर
जानवरों को गोद लेने के इच्छुक लोग शेर, भालू, तेंदुआ, हिरन समेत किसी भी जीव को गोद ले सकते हैं। उन्हें अपने जानवर का रखरखाव और खुराक का खर्च उठाना होगा। सफारी के प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक उन्हें अपने जानवरों से मिलने जुलने की छूट होगी। जानवरों का खाना सफारी प्रबंधन ही तय करेगा जिसका भुगतान गोद लेने वालों को करना होगा।
आपके नाम से होगी जानवर की पहचान
गोद लेनेे और आर्थिक सहयोग करने वालों के नाम का बोर्ड उनके जानवरों के बाड़े के सामने लगाया जाएगा। इससे हर जानवर की पहचान उनके मददगारों से होगी।
निदेशक ने बताया कि आर्थिक सहयोग करने वालों को साल में आठ बार सफारी में बिना टिकट के परिवार के साथ घूमने की अनुमति होगी।इससे उक्त परिवार के जानवर पालने का शौक भी पूरा हो जाएगा और जानवरों को भरपेट भोजन भी मिलने लगेगा।