किसान राजपथ की आधिकारिक परेड में नहीं डालेंगे बाधा, दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर निकालेंगे परेड
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रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसान राष्ट्रीय ध्वज के साथ आउटर रिंग रोड पर परेड निकालेंगे और गणतंत्र दिवस के आधिकारिक समारोह में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं किया जाएगा। वहीं किसान संगठनों ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा परेड में शामिल नहीं किया जाएगा।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर हल्ला बोल जारी है। आन्दोलन कर रहे किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालने को लेकर अपने रूख पर कायम है। हालांकि किसानों द्वारा थोड़ी राहत देते हुए कहा गया है कि वे दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड निकालेंगे और राजपथ पर होने वाले आधिकारिक परेड में बाधा नहीं पैदा करेंगे।
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसान लाल किले से इंडिया गेट तक टैक्टर से परेड निकालेंगे। किसान आंदोलन में शामिल स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसान राष्ट्रीय ध्वज के साथ आउटर रिंग रोड पर परेड निकालेंगे और गणतंत्र दिवस के आधिकारिक समारोह में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं किया जाएगा।
वहीं किसान संगठनों ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा परेड में शामिल नहीं किया जाएगा। यहां क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने किसान आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों को एनआईए से मिले समन को दमन करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।
कहा गया कि एनआईए ने उन लोगों के खिलाफ केस रजिस्टर करना शुरू किया है, जो किसान आंदोलन के अंग हैं या जिन्होंने इसे समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि सभी किसान यूनियन इसकी निंदा कर रहे हैं। हम हर संभावित तरीके से इस लड़ाई को लड़ेंगे।
वहीं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ मई 2024 तक प्रदर्शन करने को तैयार हैं। उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन को ‘वैचारिक क्रांति’ करार दिया है।
टिकैत ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं। बताते चले कि केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं डटे हैं। उनकी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
किसानों का कहना है कि जिन्हें केंद्र ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बताया है। वे नए कृषि कानून एमएसपी के सुरक्षा घेरे को समाप्त करने और मंडी प्रणाली को बंद करने का रास्ता साफ करेंगे। वहीं उच्चतम न्यायालय ने गत मंगलवार को नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।