क्या आप भी इस तरह की समस्या से जूझ रहे तो तुरंत अनउपयोगी बैंक खातों को कराए बंद

टीम भारत दीप |

एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज लगता है।
एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज लगता है।

अब सभी लोगों के बैंक खाते आधार नंबर और मोबाइल नंबर से जुड़े हैं। इसमें मोबाइल नंबर एक तरह बैंक के खाते की तरह यूज हो रहे है। यूपीआई और मोबाइल एप के माध्यम से मोबाइल नंबर से पैसे ट्रांसफर की सुविधा है। ऐसे में जो लोग कई खाता रखते हैं उनका एक मोबाइल नंबर सभी खाते से लिंक होता है। पिछले दो साल से कोविड की वजह से आनलाइन बैंकिंग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

बैंकिंग डेस्क। सरकार लोगों को आनलाइन बैंकिंग के लिए प्रेरित कर रही है। इससे उपभोक्ताओं को बैंक के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल रही है। वहीं बैंक को भी कम संसाधन जुटाने पड़ रहे है। आनलाइन बैंकिंग के बीच एक नई समस्या सामने आई है।

यह समस्या उन उपभोक्ताओं के लिए आ रही है। जिनके पास से एक से अधिक बैंक खाते है और सभी खातों में एक ही मोबाइल नंबर लिंक है। ऐसे में अगर वह उपभोक्ता सभी खातों का लेनदेन में नहीं प्रयोग कर रहा है और किसी खाते में मिनिमम बैलेंस है और गलती किसी ने उसके मोबाइल नंबर के सहारे उस खाते में पैसे डाल दिए तो बैंक उस उपभोक्ता के पैसे काट ले रहे है ऐसे में उपभोक्ता बैंकों के चक्कर लगा रहे है। 

एक नंबर से कई खाते जुड़ना नुकसानदायक

अब सभी लोगों के बैंक खाते आधार नंबर और मोबाइल नंबर से जुड़े हैं। इसमें मोबाइल नंबर एक तरह बैंक के खाते की तरह यूज हो रहे है। यूपीआई और मोबाइल एप के माध्यम से मोबाइल नंबर से पैसे ट्रांसफर की सुविधा है। ऐसे में जो लोग कई खाता रखते हैं उनका एक मोबाइल नंबर सभी खाते से लिंक होता है।

पिछले दो साल से कोविड की वजह से  आनलाइन बैंकिंग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उसमें कुछ बैंकों में ऐसी शिकायत आ रही है। जिसमें ग्राहक जिस खाते को सालों से उपयोग नहीं कर रहा है। उसमें किसी ने गलती से यूपीआई से पैसे ट्रांसफर कर दिया। बैंक ने खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने की वजह से वह पैसा काट लिया। ऐसे में ग्राहक बैंक का बार-बार चक्कर काट रहे हैं।

न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज

एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज लगता है। इसमें अगर खाता लंबे समय तक आपरेट नहीं होता है और उसमें न्यूनतम बैलेंस है तो कोई चार्ज नहीं लगता है। खाता संचालन की शर्त है कि ग्राहक न्यूनतम बैलेंस रखेगा।

यह बैंक और ग्राहक दोनों की जिम्मेदारी होती है। इसलिए ग्राहकों को जिस खाते को नहीं चलाना है, उसे बंद कर देना चाहिए। बचत खाता बंद कराने के लिए ब्रांच में जाकर क्लोजर फार्म भरना होता है। इसके साथ ही डी लिकिंग फार्म भी जमा करना होता है। कुछ बैंक चेकबुक, एटीएम कार्ड भी वापस लेते हैं। एक साल के बाद पुराने बचत खाते को बगैर किसी शुल्क दिए बंद कराया जा सकता है।

इसी तरह केनरा बैंक के एक अधिकारी के अनुसार अगर किसी खाते में पैसा है और 10 साल तक खाता आपरेट नहीं होता है तो यह पैसा बैंक अनक्लेम डिपाजिट में डाल देता है। ऐसे पैसे को वापस लेना बहुत मुश्किल काम है। इसलिए अगर खाते के संचालन में दिक्कत हो तो उसे बंद कराना चाहिए।

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