राजपूत काल में भी इस वजह से आत्मनिर्भर हो गई थी भारत की अर्थव्यवस्था
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कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरा लॉकडाउन खत्म होने से पहले देशवासियों से आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की।
कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरा लॉकडाउन खत्म होने से पहले देशवासियों से आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की। अपने संबोधन में में मोदी ने जहां देशवासियों से स्वदेशी अपनाने की अपील अप्रत्यक्ष रूप से करी वहीं देश के उद्योगपति और व्यापारियों से भी इस दिशा में सहयोग मांगा। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर की इस संकल्पना में विश्व को भी साथ लेकर चलने को कहा है। उन्होंने अपने भाषण में वसुधैव कुटुम्बकम ध्येय वाक्य याद दिलाया।
आपको बता दें कि भारत की अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भर मॉडल का जिक्र पहले भी हो चुका है। दरअसल भारतीय इतिहास के मध्यकाल 600-1000 ईस्वी के मध्य उत्तर भारत में राजपूत शासक राज्य कर रहे थे। राजपूतों की शक्ति सैन्य शक्ति पर आधारित थी। यही कारण है कि उनके समय में सत्ता का विकेंद्रीकरण होना शुरू हुआ जिससे सामंतवाद को बढ़ावा मिला। उत्तर प्रदेश, मध्य भारत, राजस्थान, मालवा और गुजरात में शासक ने अपने प्रशासनिक अधिकारियों को गांव दे दिए। यह विशुद्ध रूप से आर्थिक विकेंद्रीकरण था। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व कमजोर होने के कारण भी सामंतवाद को बढ़ावा मिला। परिणाम यह हुआ कि आपसी व्यापार ठप हो गया और पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आश्रित हो गई। इससे गांव आत्मनिर्भर हुए और स्वयं की उपज से ही निर्वाह होने लगा। इसे ही इतिहासकारों ने आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कहा है।
वर्तमान में कोरोना महामारी से पैदा हुए संकट के कारण जिस आत्मनिर्भरता की बात की जा रही है, पहले पहल वह इसी आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर संकेत करती है। पूरे विश्व के नजरिए से हम भारत को देखें तो भारत एक कृषि प्रधान देश है। अतः कृषि के विकास के साथ ही और कृषि उत्पादों के उपयोग के साथ हम स्वयं को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। वहीं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व को साथ लेकर चलने की बात करते हैं तो आत्मनिर्भरता का मतलब स्वयं की जरूरत पूरा करने के साथ विश्व को भी निर्यात करने की क्षमता हम पैदा कर सकें।