20 लाख से अधिक की निकासी पर टैक्स बचाने का तरीका, बैंक में दें सही जानकारी
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कई बार ग्राहक बैंक में अपने पैन नंबर की जानकारी देने से भी बचते हैं। उन्हें लगता है कि पैन की जानकारी देने से उनके सारे रूपयों की जानकारी सरकार को रहेगी और उन पर इनकम टैक्स न लग जाए।
बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए कैश निकासी पर टीडीएस काटने का नियम तय कर दिया है। खाताधारक अब जितनी ज्यादा धनराशि निकालेंगे उतना ज्यादा ही उन्हें टैक्स भी भरना पड़ेगा। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों को अनावश्यक टैक्स से बचने के तरीके बताए हैं। इसे अपनाकर आप ज्यादा टैक्स देने से बच सकते हैं।
एसबीआई का कहना है कि यदि कोई ग्राहक पिछले तीन वर्ष के आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो धारा 194एन के अंतर्गत 20 लाख से अधिक की कैश निकासी पर टीडीएस कटौती का प्रावधान है। इसके लिए जरूरी है कि ग्राहक समय पर अपना टैक्स रिटर्न फाइल करें।
इतना ही नहीं कई बार ग्राहक बैंक में अपने पैन नंबर की जानकारी देने से भी बचते हैं। उन्हें लगता है कि पैन की जानकारी देने से उनके सारे रूपयों की जानकारी सरकार को रहेगी और उन पर इनकम टैक्स न लग जाए।
एसबीआई का कहना है कि 20 लाख से अधिक की कैश निकासी वाले ग्राहक बैंक में अपना पैन नंबर अवश्य अपडेट कराएं। पैन नंबर न होने की हालत में उनसे सामान्य से ज्यादा टैक्स लिया जाएगा। पैन नंबर से आपके रिटर्न की जानकारी भी अपने आप बैंक के पास अपडेट रहेगी।
टीडीएस की दर
यदि किसी ग्राहक ने पिछले तीन वित्तीय वर्ष में से किसी में भी आयकर रिटर्न नहीं भरा है तो 1 जुलाई 2020 से उसे 20 लाख तक की कैश निकासी पर कोई कर नहीं देना होगा। 20 लाख से 1 करोड़ रूपये तक कैश निकालने पर उसे 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देना पड़ेगा।
यदि खाते में पैन नंबर अपडेट है तो टैक्स की दर केवल 2 प्रतिशत ही होगी। आगे 1 करोड़ से अधिक कैश निकालने पर आपको 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ सकता है, यदि पैन नंबर खाते में अपडेट है तो टैक्स की दर केवल 5 प्रतिशत ही रहेगी।
आयकरदाताओं को फायदा
आयकर भरने वालों को कैश निकालने के मामले में विशेष छूट दी गई है। जो भी खाताधारक नियमित टैक्स भरते हैं और पिछले तीन वर्षाें में किसी में भी आयकर रिटर्न भरा है तो उन्हें केवल 1 करोड़ से अधिक की निकासी पर टैक्स देना पड़ेगा वो भी केवल 2 प्रतिशत ही लगेगा।
इसलिए उठाना पड़ा कदम
एसबीआई से जुडे़ एक अधिकारी ने बताया कि कई खुदरा कारोबारियों जैसे- मीट का व्यापार करने वाले और स्क्रैप कारोबारियों द्वारा टैक्स चोरी के मामले सामने आ रहे थे। इसलिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। आमतौर पर इन व्यापारियों को जीएसटी में छूट का प्रावधान है, ऐसे में टैक्स की चोरी रोकने के लिए यह नियम अमल में लाया गया है।