रेप-यौन उत्पीड़न के मामलों में सोशल मीडिया पर बड़बोलेपन से बचें, हो सकती है जेल

टीम भारत दीप |
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रेप पीड़िता की पहचान न जाहिर की जाए।
रेप पीड़िता की पहचान न जाहिर की जाए।

हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद ट्विटर पर एक ट्रेंड चल पड़े। इसमें ट्विटर यूजर्स ने लड़की के नाम से हैशटैग चलाते हुए इंसाफ की मांग शुरू कर दी।

सोशल मीडिया डेस्क। हाथरस गैंगरेप को लेकर देशभर में गुस्सा है। अपने रोष को व्यक्त करने और सरकार से सवाल करने के लिए लोग लगातार फेसबुक, ट्विटर और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। बाॅलीवुड सेलिब्रिटी और क्रिकेटरों ने भी घटना पर अपना गुस्सा जाहिर किया। 

मामले में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई कुछ इस तरह रही कि सोशल मीडिया के जरिए घटना को लेकर कई दावे होने लगे। ऐसे में यूजर्स ने ये भी ध्यान नहीं रखा कि आखिर रेप पीड़िता की पहचान न जाहिर की जाए। कई जानकारों तक ने पीड़िता का असली नाम और उसकी फोटो तक सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। 

लेकिन आपको बता दें कि ऐसा करना कानून अपराध है और इसके लिए दोषी पाए जाने पर दो साल की जेल भी हो सकती है। 

हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद ट्विटर पर एक ट्रेंड चल पड़े। इसमें ट्विटर यूजर्स ने लड़की के नाम से हैशटैग चलाते हुए इंसाफ की मांग शुरू कर दी। 

दिसंबर 2018 में, निपुन सक्सेना बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी भी परिस्थिति में मीडिया यौन अपराधों के पीड़ित की पहचान को उजागर नहीं कर सकता है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि मीडिया शब्द का मतलब ये है कि प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को भी इसकी इजाजत नहीं है।

वहीं हाथरस वाली घटना पर विराट कोहली, कंगना रनौत, मनोज तिवारी, सुरेश रैना, सोफी चैधरी जैसी कई हस्तियों के साथ-साथ राजनेताओं और टिप्पणीकारों जैसे तहसीन पूनावाला, दानसारी अनुसूया, विवेक भंसल, पृथ्वी गांधी ने सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर हैशटैग लगाते हुए धड़ल्ले से पीड़िता का नाम लिखा।

अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का दौरा करने के दौरान भीम आर्मी के प्रमुख नेता चंद्रशेखर ने आईसीयू के अंदर पीड़ित का एक वीडियो बनाकर पोस्ट किया था। वीडियो में पीड़िता का चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले उसे धुंधला नहीं किया गया था।

लग चुका है जुर्माना 

मीडिया की बात करें तो, द टाइम्स ऑफ इंडिया, न्यूज18, दैनिक जागरण, टीवी9भारतवर्ष और इंडिया.कॉम जैसे मीडिया संगठनों ने भी पीड़िता के नाम का हैशटैग अपनी स्टोरी पर पोस्ट किया है।

2019 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कठुआ सामूहिक बलात्कार पीड़िता के नाम और अन्य विवरण का खुलासा करने के लिए 12 मीडिया हाउसों पर जुर्माना लगाया था।

मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था, “कोई भी व्यक्ति प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया आदि में पीड़ित व्यक्ति का नाम नहीं छाप सकता या प्रकाशित नहीं कर सकता है। किसी आम व्यक्ति को भी ये इजाजत नहीं है कि वो पीड़िता से जुड़े तथ्य या उसका नाम सोशल मीडिया पर उजागर करे।”

खंडपीठ ने यहां तक ​​कहा कि यौन अपराधों के खिलाफ रैली के लिए भी पीड़ित का चेहरा, नाम और पहचान का उपयोग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर पीड़िता के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अभियान शुरू किया जाना है और जनता की राय जुटानी है तो यह उसकी पहचान का खुलासा किए बिना किया जा सकता है।

ये हैं सजा के प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में धारा 228ए के तहत रेप पीड़िता की पहचान को उजागर करने में संलग्न व्यक्ति को दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया है। 

इसी धारा के सब्सेक्शन 228। (2) के तहत अपराध को तब भी लागू किया जाएगा, जब पीड़िता का नाम प्रभारी, अधिकारी या स्वयं पीड़िता से लिखित अनुमति के साथ सामने आया हो। ये नियम पीड़िता के मरने के बाद भी लागू रहता है। इस नियम के अंतर्गत माइनर और दिमागी रूप से कमजोर लोग भी आते हैं।


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