अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आई फैसले की घड़ी, सभी आरोपियों को उपस्थित रहने का आदेश

टीम भारत दीप |

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचे को गिरा दिया था।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचे को गिरा दिया था।

मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार सहित कई चर्चित लोग आरोपी हैं।

लखनऊ। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को में हुए विवादित ढांचा गिराने के मामले में फैसले की घड़ी आ गई है। न्यायाधीश एसके यादव की विशेष सीबीआई अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। फैसले के दिन कोर्ट ने मामले के सभी आरोपियों को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। 
 
बता दें कि अयोध्या में ढांचा विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों ने अपने बयान दर्ज करा दिए हैं। 31 अगस्त तक मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।

मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार सहित कई चर्चित लोग आरोपी हैं।

इन सभी ने बयान दर्ज करवाया और अदालत के बाहर आकर यही बयान दिया कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। अपना बयान दर्ज करवाने आए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा था कि उन्हें जानबूझकर राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है। 

अब सभी की नजरें कोर्ट द्वारा 30 सितंबर को सुनाए जाने वाले फैसले पर हैं। बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को भीड़ ने अयोध्या में एक ढांचे को गिरा दिया था। लोगों का मानना है कि इस स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ और मुगल बादशाह बाबर के नाम पर उस स्थान पर ढांचा बनवाया गया। 

ढांचा गिराने का आरोप भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य लोगों पर लगा। 28 साल से चल रहे मुकदमे में 30 सितंबर को फैसले की बात कही गई हैं। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में चल रहे एक सिविल मामले में उस स्थान को मंदिर के पक्षकारों के लिए देने का निर्णय दिया था। 


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