बाबरी विध्वंसः चार्जशीट में लगाए इन आरोपों पर सुबूत पेश नहीं कर पाई सीबीआई
कोर्ट ने यह माना है कि सीबीआई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। कुछ अराजक तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था।
लखनऊ। अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 28 साल बाद आखिरकार फैसला आ गया। आज सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसले में ढांचा तोड़ने की घटना को पूर्व नियोजित नहीं माना है।
वहीं आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पर्याप्त सबूत भी पेश नहीं कर पाया। ऐसे में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
कोर्ट ने यह माना है कि सीबीआई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। कुछ अराजक तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था। 28 वर्ष तक चली सुनवाई के बाद ढांचा विध्वंस के आपराधिक मामले में फैसला सुनाने के लिए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने सभी आरोपियों को आज तलब किया था।
वहीं आज कई आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए। यहां बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मनीष कुमार त्रिपाठी, केके मिश्रा, विमल श्रीवास्तव, अभिषेक रंजन, मृदुल राकेश, आईपी सिंह, अभय प्रताप सिंह, शंकर लाल लोधी, प्रशांत सिंह अटल इत्यादि मौजूद रहे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट परिसर के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इस बात की तैयारी भी रही कि आरोपियों के बाहर आने के बाद वो मीडिया से मुखातिब होंगे और इस स्थिति को संभाला जा सके। इससे पहले आज सुबह विशेष सीबीआई अदालत के जज सुरेन्द्र यादव अपने समय से कोर्ट पहुंचे।
वहीं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, महंत नृत्यगोपाल दास, सतीश प्रधान को छोड़कर फैसले के वक्त सभी आरोपी 26 कोर्ट रूम में मौजूद रहे।
49 आरोपियों में अब 32 ही जीवित
6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा ढहा दिया गया था। इस केस में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, बाला साहेब ठाकरे, राम विलास वेदांती और उमा भारती समेत 49 आरोपी बनाए गए थे, इनमें से अब सिर्फ 32 आरोपी ही जीवित हैं।
बाबरी विध्वंस केस के आरोपी डॉक्टर राम विसाल वेदांती कह चुके हैं कि इस केस में उन्हें उम्रकैद मिले या फांसी, ये उनका सौभाग्य होगा।
27 अगस्त 1993 से चल रही थी जांच
मामले की जांच 27 अगस्त 1993 से सीबीआई कर रही है। ये मामला 26 सालों तक अधर में लटकता रहा। लेकिन 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रोजाना सुनवाई के आदेश दिए थे, साथ ही कहा था कि जब तक ये मामला चलेगा, तब तक जज का ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकेगा।
आडवानी सहित पांच आरोपी अहम
90 के दशक में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ही राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तब उनके सारथी बने थे, सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक आडवाणी बाबरी विध्वंस के मुख्य आरोपी थे। चार्जशीट के मुताबिक 6 दिसंबर को जोशी भी बाबरी ढांचे के पास मौजूद थे, और विध्वंस तक वहीं रुके रहे।
उमा भारती पर भीड़ को उकसाने का आरोप था। लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में उमा दोषी बताई गई हैं। कल्याण सिंह, तत्कालीन मुख्यमंत्री पर आरोप था कि कल्याण सिंह ने बाबरी विध्वंस रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। इसे विध्वंस के लिए उकसावा माना गया था।
सीबीआई ने बीजेपी नेता विनय कटियार पर आरोप लगाया था कि विनय कटियार हजारों कारसेवकों को लेकर अयोध्या पहुंचे और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को बाबरी ढांचा गिराने के लिए उकसाया। शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे भी आरोपी बनाए गए थे। बाला साहेब ने बाबरी ढांचा गिराए जाने के 2 साल एक इंटरव्यू में कहा था कि बाबरी ढांचा राम मंदिर बनाने के लिए गिराया गया था।