एडीएम की जमीन पर कब्जे का मामला निकला ये, बलिया के डीएम ने लिखा था पत्र
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खुद जिलाधिकारी भी मामले में कार्रवाई को लेकर इतने आशंकित दिखे कि उन्होंने पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष से भी मदद के लिए पत्र लिखने की गुहार लगाई।
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया में तैनात एक पीसीएस अधिकारी ने मिर्जापुर में अपनी जमीन पर क्षेत्र के कुछ लोगों द्वारा निर्माण न होने देने की बात कही गई। आरोप है कि इन लोगों ने पीसीएस अधिकारी को फोन कर धमकाया। आलम यह रहा कि खुद बलिया के डीएम को मिर्जापुर के डीएम और एसपी को मदद के लिए पत्र लिखना पड़ा।
खुद जिलाधिकारी भी मामले में कार्रवाई को लेकर इतने आशंकित दिखे कि उन्होंने पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष से भी मदद के लिए पत्र लिखने की गुहार लगाई। हालांकि पुलिस जांच में मामले का पटाक्षेप हो गया। पुलिस का कहना है कि पूरा मामला दो पक्षों के बीच जमीन विवाद से संबंधित है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पत्र वायरल हो रहा है। इस पर टिप्पणी करते हुए यूपी के आईजी नागरिक सुरक्षा ने लिखा कि अगर यह पत्र सही है तो मामला वाकई में गंभीर है। आईजी अमिताभ ठाकुर की पोस्ट से मिले इस पत्र को बलिया के जिलाधिकारी हरिप्रताप शाही ने मिर्जापुर के डीएम और एसपी को लिखा हैं। पत्र में कहा गया है कि बलिया जिले में एडीएम के पद पर तैनात पीसीएस अधिकारी प्रवरशील बरनवाल की मिर्जापुर के भरूहना गांव में भूमि है।
यहां उनकी माता जी जमीन पर निर्माण कराना चाहती हैं। क्षेत्र के अच्छे प्रताप सिंह, इंदिरा सिंह, विजय सिंह और धेनू शुक्ला आदि जमीन पर निर्माण नहीं होने दे रहे हैं। इनके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं और ये सभी भूमाफिया हैं।
इतना ही नहीं इन लोगों ने पीसीएस बरनवाल को फोन कर धमकाया, जिसकी शिकायत बरनवाल द्वारा यूपी पुलिस के एडीजी स्तर के अधिकारियों से की गई। बलिया के डीएम ने इन्हीं शिकायती पत्रों के साथ मिर्जापुर के डीएम और एसपी को मामले में जांच के लिए पत्र लिखा है।
इस पत्र की प्रति यूपी पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी को भी भेजी और उनसे भी सहयोग के लिए पत्र लिखने को कहा। यह पत्र बीती 23 जुलाई को लिखा गया।
भारत दीप की खबर पर मिर्जापुर पुलिस ने बताया कि मामला करीब 30 साल पुराना है और 2007 से न्यायालय में विचाराधीन है। प्रवरशील बरनवाल मिर्जापुर में नायब तहसीलदार के पर तैनात थे, तब उनके द्वारा मामले का निस्तारण नहीं कराया गया। खतौनी पर भी उनकी माताजी का नाम नहीं है। कोर्ट का स्थगन आदेश भी प्रभावी है। मामले में कोर्ट से निस्तारण होने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।