बैंक के इन अफसरों को सरकार मानती है केंद्रीय ग्रेड-1 कर्मियों के बराबर, सैलरी में काफी अंतर
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वेतन मान को लेकर दोनों में विसंगतियां देखी जा सकती हैं। यही कारण है कि बैंककर्मी लगातार अपने वेतन और पेंशन के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
बैंकिंग डेस्क। बैंक में मैनेजर का पद सभी पाना चाहते हैं। मैनेजर की जाॅब को काफी हाईप्रोफाइल भी माना जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक जिन्हें आम भाषा में सरकारी बैंक भी कहा जाता है, उनके मैनेजर की बात ही अलग है।
हो भी क्यों न, सरकार ने खुद बैंक के जूनियर मैनेजमेंट ग्रेड स्केल-1 यानी प्रोबेशनरी आॅफिसर तक को केंद्र सरकार के ग्रेड-1 कर्मचारी के बराबर माना है। यानी जिन्हें हम साहब कहते हैं, वही ओहदा सरकार की नजर में बैंक मैनेजर का भी है। संसद में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने खुद यह बात स्वीकारी है।
हालांकि वेतन मान को लेकर दोनों में विसंगतियां देखी जा सकती हैं। यही कारण है कि बैंककर्मी लगातार अपने वेतन और पेंशन के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हम कुछ और बताए उससे पहले सोशल मीडिया पर वायरल ये सूची देखिए-
इसे देखकर आप अंदाजा लगा चुके होंगे कि एक बैंक मैनेजर और केंद्रीय कर्मचारी के वेतन में कितना अंतर है। हालांकि इस बारे में तर्क यह भी दिया जाता है कि बैंक के मैनेजर ग्रेड के अधिकारियों को अन्य कई सुविधाएं जैसे एसबीआई में फर्नीचर का रूपया, एसी टू टियर का टिकट व अन्य लाभ मिलते हैं।
इससे उलट अधिकतर केंद्रीय कर्मियों को सरकारी आवास, प्रशासन स्तर के अधिकारियों को पुलिस सुरक्षा व अन्य लाभ भी हैं। बैंककर्मियों का कहना है कि ऐसे में दोनों को एक समान नहीं ठहराया जाना चाहिए। सरकार जब हमें बराबर मानती है तो बराबर वेतन पर बात क्यों नहीं करती।
वहीं केंद्रीय कर्मियों को राजपत्रित दर्जा भी मिलता है। ऐसे में सवाल समान पद और समान वेतन का है। बैंक यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस अंतर का सबसे बड़ा कारण बैंककर्मियों को वेतन आयोग में शामिल न करना है।
यह भी वेतन भी सभी का समान नहीं है। अलग-अलग बैंक में यह भी बदलता रहता है। 2004-5 से पहले के केंद्रीय कर्मियों को अंतिम वेतन की आधी पेंशन का भी नियम है, जबकि बैंक में एक फिक्स पेंशन सिस्टम है। यही कारण है कि बैंक कर्मचारी अपने वेतन और पेंशन के मुद्दों को लेकर लामबंद हैं।
मामले में सरकार की ओर से न्याय न मिलते देख वी बैंकर्स एसोसिएशन ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।