भाई बहन के पावन प्रेम का पर्व भैया दूज आज, जानिए शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें। इस दिन शादीशुदा बहनें भाई को अपने घर बुलाकर उसका तिलक करती हैं।
आगरा। पांच दिवसीय दिपोत्सव के तहत दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इसी पर्व के साथ पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व का समापन होता है। आपकों बता दें कि भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भैया दूज पर बहनें भाईयों को तिलक कर उनकी लंबी उम्र व स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं और उनकी आरती उतारती है। भाई सदैव बहन की रक्षा करने का वचन देता है।इस दिन बहनें भाई के घर जाती है, जो बहनें नहीं जा पाती उनसे मिलने भाई उनके घर पहुंचते है।
पूजा विधि
पं. राजेश तिवारी ने बताया कि भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें। इस दिन शादीशुदा बहनें भाई को अपने घर बुलाकर उसका तिलक करती हैं।
यदि भाई नहीं आ पा रहा तो बहनें भी भाई के घर जाकर तिलक कर सकती हैं। भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं और फिर भाई दूज की कहानी पढ़ें इसके बाद भाई को तिलक कर आरती उतारे। फिर भाई का मुंह मीठा करें। फिर भाई को सूखा नारियल दे। तिलक करते हुए मन ही मन भगवान से भाई की लंबी उम्र की कामना करें।
तिलक करने का शुभ मुहूर्त
तिलक करने के शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 11 मिनट तक है। जो दोपहर 1:10 से दोपहर 3:21 बजे रहेगी। इस दौरान आप अपने भाई को तिलक कर सकती हैं।
भाईदूज की कथा
भाईदूज को मनाने के पीछे मान्यता है कि भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया ने यमराज व यमुना को जन्म दिया था। यमुना यमराज से हमेशा ही निवेदन करती रहती थी कि वे अपने इष्ट मित्रों के साथ आकर उनके घर पर भोजन करें।
एक दिन यमुना ने यमराज को अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। जिसके पश्चात यमराज वचनबद्धता के चलते अपनी बहन के घर गए। इसके साथ ही बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जब यमराज यमुना के घर पहुंचे तो यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यमुना ने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया।
यमराज यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से बेहद प्रसन्न हुए और बहन से वर मांगने को कहा। जिसके बाद यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो।
साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार करके उसका टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को वर दिया। तभी से इस दिन भाईदूज पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा।
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