अनलॉक1ः अब लोगों के सामने 5 बड़े खतरे

टीम भारत दीप |
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नौकरी और रोजी-रोटी छूट जाने के कारण प्रवासी मजदूरों का आवागमन शुरू हो गया था।
नौकरी और रोजी-रोटी छूट जाने के कारण प्रवासी मजदूरों का आवागमन शुरू हो गया था।

भारत में 67 दिन की तालाबंदी के बाद देश एक बार फिर से चल पड़ा है। भारत जैसे देश का यूं इतने दिन ठहरे रहना अपने आप में मिसाल है।

भारत में 67 दिन की तालाबंदी के बाद देश एक बार फिर से चल पड़ा है। भारत जैसे देश का यूं इतने दिन ठहरे रहना अपने आप में मिसाल है। 21 दिन तक तो हलचल भी नहीं देखी गई। कोरोना संकट से लड़ने का और कोई तरीका न होने के कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ा लेकिन कोरोना है कि जाता ही नहीं। इसी बीच गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने और लोगों को रोजमर्रा के कामों के लिए हो रही परेशानी को देखते हुए सरकार ने 1 जून से आम जनजीवन को स्टार्ट कर दिया है। अब हर राह खुली है लेकिन खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है। आइये जानते हैं 5 वो स्थितियां जो पहले से ज्यादा परेशानी पैदा कर रही हैं- 


लगातार आवागमन
24 मार्च को लॉकडाउन के बाद से ही अपनी नौकरी और रोजी-रोटी छूट जाने के कारण प्रवासी मजदूरों का आवागमन शुरू हो गया था। सरकारों ने बहुत दावे किए कि मजदूरों के कदम न रोक पाईं। बस और रेल नहीं मिली तो मजदूर पैदल ही अपनी मंजिल तय करने निकल दिए। मजबूरन सरकार को बसों और रेल को चालू कर उनके आवागमन की व्यवस्था करनी पड़ी। यह लगातार जारी है और नतीजा यह है कि अब तक जो ग्रामीण इलाके इससे बचे थे वे भी कोरोना की चपेट में आने लगे हैं।


हम नहीं सुधरेंगे
हम अभी यह मानने को भी तैयार नहीं हैं कि कोरोना का खतरा कितना बड़ा है। इसकी मिसाल आम जरूरत की चीजों को लेकर दुकानों पर लगी लोगों की भीड़ को देखकर दी जा सकती है। शराब की दुकानें खुलने के बाद जो नजारे देशभर में देखे गए वे भयावह थे।


छुपे रूस्तम
प्रशासन और सरकार की लगातार अपील के बाद भी लोग बीमारी के बारे में खुलकर नहीं बता रहे हैं। यह बात सच है कि कोरोना के लक्षण आम जुकाम, सर्दी, बुखार की तरह ही हैं लेकिन फिर लोग मेडीकल स्टोर से ही दवा लेकर खुद ही उपचार में जुटे हैं। इसमें एक भयावह तथ्य यह भी सामने आया है कि यात्रा के दौरान होने वाली स्क्रीनिंग से बचने के लिए लोग पैरासिटामोल की टैबलेट खाकर यात्रा कर रहे हैं जिससे बुखार का पता नहीं चलता है।


गांवों में फैलाव
भारत गांवों का देश है। कोरोना महामारी ने चीन के वुहान से अपने सफर की शुरूआत कर भारत के गांवों में भी पैर पसार लिए हैं। खासकर उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के आवागमन के बाद से गांवों से बड़ी संख्या में केस निकलकर आ रहे हैं। दूसरे लॉकडाउन तक कोरोना का फैलाव यूपी के 60-65 जिलों में था लेकिन तीसरे लॉकडाउन तक यह पूरे 75 जिलों में फैल गया है।


इलाज की मजबूरी
कोरोना संकट के बाद से ही पहले से चली आ रही बीमारियों के इलाज का भी संकट पैदा हो गया है। सरकारी अस्पताल जहां पूरी तरह कोरोना को लेकर केंद्रित हो गए हैं वहीं प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक संचालक बीमारी के भय से दुकान बंद किए हुए हैं। इससे इलाज न मिलने के कारण भी मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
 


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