अहिंसा की सबसे बड़ी तस्वीरः सेना से नन बोलीं, पहले मुझे गोली मारो, सैनिक हाथ जोड़कर बैठे

टीम भारत दीप |
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सैनिक लगातार गोलियां बरसा रहे हैं अब तक 68 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, यहां मंगलवार को विरोध की एक ताकतवर तस्वीर सामने आई।
सैनिक लगातार गोलियां बरसा रहे हैं अब तक 68 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, यहां मंगलवार को विरोध की एक ताकतवर तस्वीर सामने आई।

गोलियां बरसा रहे सैनिकों के सामने नन सिस्टर एन रोज नू तावंग दीवार बनकर खड़ी हो गईं। इस दौरान सिस्टर रोज के तेवर देख सैनिकों ने बंदूकें नीचे कर लीं और हाथ जोड़कर घुटनाें के बल बैठ गए।

यांगून। आज भी हमें अहिंसा कई किस्से सुनाए जाते है। उसमें से सबसे लोकप्रिय किस्सा है, महात्मा गौतम बुद्ध और ​दुर्दांत डाकू ​अंगुलीमाल का, कैसे डाकू अंगुलीमाल के सामने महात्मा गौतम बुद्ध निडर होकर  खड़े हो जाते हैं अंत में डाकू अंगुली मार उनका दास बन जाता है।

इस कहानी को बीते कई सौ साल हो गए, लेकिन ऐसा ही एक मामला इन दिनों आपातकाल की दौर से गुजर म्यांमार में देखने को मिला। यहां गोलियां बरसा रहे सैनिकों के सामने नन सिस्टर एन रोज नू तावंग दीवार बनकर खड़ी हो गईं। इस दौरान सिस्टर रोज के तेवर देख सैनिकों ने बंदूकें नीचे कर लीं और हाथ जोड़कर घुटनाें के बल बैठ गए। 

विरोध को दबाने सैनिक कर रहे क्रूरता

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ चल रहे विरोध को दबाने के लिए सैनिक लगातार गोलियां बरसा रहे हैं। अब तक 68 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। यहां मंगलवार को विरोध की एक ताकतवर तस्वीर सामने आई।

जानकारी के अनुसार काचिन के मायित्किना में गोलियां बरसा रहे सैनिकों के सामने नन सिस्टर एन रोज नू तावंग खड़ी हो गईं। सैनिकों से कहा, बच्चों, महिलाओं प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाना बंद कीजिए। सबसे पहले मुझे गोली मारिए। मैं तब तक नहीं हटूंगी जब तक आप यहां से नहीं चले जाते या मेरी मौत नहीं हो जाती।

सिस्टर रोज के तेवर देख सैनिकों ने बंदूकें नीचे कर लीं और हाथ जोड़कर घुटनाें के बल बैठ गए। बाद में अधिकारियों ने नन को भरोसा दिया कि अब और खून-खराबा नहीं होगा, तब सिस्टर रोज वहां से हटीं।

लोग कर्फ्यू तोड़कर बाहर निकले

सैनिक शासन का विरोध कर रहे लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है। इसी क्रम में  दो सौ छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इन छात्रों के समर्थन में म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून में मंगलवार को भी प्रदर्शन हुआ। लोगों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया। इन प्रदर्शनों की कवरेज करने पर सैन्य सरकार ने देश के पांच मीडिया संस्थानों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।

सेना ने  किया था तख्तापलट

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से ही लोग सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हर बार सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती बरती है। सत्ता संभाल रही सेना ने लोकतंत्र समर्थकों से सख्ती से निपटने की बात कही है।

देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके बाद से ही म्यांमार में प्रदर्शनों का दौर जारी है। नवंबर में हुए चुनाव में सू की पार्टी ने जोरदार जीत दर्ज की थी, लेकिन सेना ने धांधली की बात कहते हुए परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

यूनाइटेड नेशन  में म्यांमार के राजदूत क्यॉ मो तुन इस घटना के बारे में बताते हुए रो पड़े थे। तुन ने यूएन से अपील की थी कि म्यांमार के सैन्य शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और लोकतांत्रिक व्यवस्था को फौरन बहाल करने की मांग की थी। 


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