संध्य यादव को जिपं का टिकट देकर भाजपा ने खेला है बड़ा दांव, सपा में बढ़ी बेचैनी
भाजपा ने इस बार सपा के गढ़ मैनपुरी में सेंध लगाकर मुलायम सिंह यादव के कुनबे की संध्या यादव को अपने पाले में कर लिया है। भाजपा ने अभी यह एक प्रयोग किया है, अगर वह इसमें कामयाब हो जाता है तो आगे वह इसी रण्नीति पर चलते हुए सपा के गढ़ को ध्वस्त कर सकती है।
मैनपुरी। 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस समय प्रदेश भर में दौड़ा करके अपने पक्ष में माहौल बना रहे। वहीं मंच से कई बार 2022 में सपा की सरकार बनने का दावा कर चुके है।
इसके विपरित सपा में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। भाजपा ने इस बार सपा के गढ़ मैनपुरी में सेंध लगाकर मुलायम सिंह यादव के कुनबे की संध्या यादव को अपने पाले में कर लिया है। भाजपा ने अभी यह एक प्रयोग किया है, अगर वह इसमें कामयाब हो जाता है तो आगे वह इसी रण्नीति पर चलते हुए सपा के गढ को ध्वस्त कर सकती है।
यदि भाजपा इसी तरह की रणनीति पर आगे काम करती रही तो निश्चित ही आने वाले समय सपा के लिए और मुश्किल हो सकती है। संध्या के भाजपाई होने से सपाईयों में बेचैनी बढ़ गई है। इस असंतोष को रोकने के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को प्रदेश की राजधानी स्थित सपा के मुख्यालय जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं से चर्चा की।
मैनपुरी सपा गढ़
आपकों बता दें कि प्रदेश की राजनीति में सपा के लिए इटावा के बाद मैनपुरी सबसे मजबूत किला के रूप में जाना जाता है। यहां से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव लगातार चुनाव जीतते आ रहे है।
अब मैनपुरी से ही विद्रोह की जो आग उठी है वह इतने जल्दी शांत नहीं होने वाली है। जिला पंचायत से शुरू हुआ अंसोष का दौर पहले विधानसभा चुनाव फिर लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।
इस समय सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जिला पंचायत में लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को बरकरार रखने की है। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई अभयराम की बेटी हैं। संध्या यादव ने बुधवार को भाजपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत के घिरोर तृतीय वार्ड से नामांकन दाखिल किया।
पहली बार मुलायम परिवार का कोई सदस्य दूसरी पार्टी से लड़ेगा चुनाव
देश में मुलायाम का कुनबा सबसे मजबूत राजनीतिक कुनबा माना जाता है। ऐसे में अगर कोई उसके घोर विरोधी पार्टी से मैदान में आ जाए तो असहजता तो जरूर होगी। ऐसा पहली बार होने जा रहा जब मुलायम सिंह यादव के परिवार को कोई सदस्य दूसरी पार्टी से चुनाव लड रहा है।
इससे पहले शिवपाल यादव बगावत कर चुके हैं, परंतु वह अपनी पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव लड़े थे। भाजपा अगर अपने प्रयोग में कामयाब हो जाती है तो संध्या के परिवार से फिर किसी को विधायक तो किसी को लोकसभा चुनाव में उतारकर सपा के वर्चस्व को जमींदोज कर सकती है। फिलहाल सपा ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए संध्या के खिलाफ प्रत्याशी उतार कर यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि सपा अब परिवार के आगे की सोचने लगी है।