स्तनपान नवजात शिशुओं के लिए वरदान: मां के दूध में होती है सभी संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति
स्तनपान प्राकृतिक है। मां के प्यार की तरह इसकी जगह और कोई नहीं ले सकता। कहा भी जाता है कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है। ऐसे में स्तनपान कराना मां, बच्चे व समाज सबके के लिए हितकारी है। डाक्टर्स भी कहते हैं कि शिशु को छह माह तक केवल और केवल स्तनपान ही कराना चाहिए तथा इसे दो वर्ष या उससे अधिक समय तक जारी रखना चाहिए।
लखनऊ। आज यानी एक अगस्त को विश्व स्तनपान दिवस है। स्तनपान को लेकर जगह—जगह जगरूकता कार्यक्रम हो रहे हैं और नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध के महत्व को समझाया जा रहा है। दरअसल जन्म के बाद शिशुओं को जरूरत होती है सम्पूर्ण आहार, प्यार और सुरक्षा की। मां का दूध शिशु की सारी इन जरूरतों को पूरा करता है।
साथ ही साथ शिशु के जीवन को सही शुरुआत भी देता है। दरअसल स्तनपान प्राकृतिक है। मां के प्यार की तरह इसकी जगह और कोई नहीं ले सकता। कहा भी जाता है कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है। ऐसे में स्तनपान कराना मां, बच्चे व समाज सबके के लिए हितकारी है।
डाक्टर्स भी कहते हैं कि शिशु को छह माह तक केवल और केवल स्तनपान ही कराना चाहिए तथा इसे दो वर्ष या उससे अधिक समय तक जारी रखना चाहिए।
दरअसल मां का दूध विशेष रूप से शिशु के लिए ही बना है। यह शिशु के विकास के लिए पोषण देता है। इसके साथ ही यह पचने में भी आसान है और इसमें पाये जाने वाले तत्व शिशु को सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। मां का दूध विशेष रूप से शिशु को दस्त से बचाता है।
शिशु जन्म से पहले मां के गर्भ में सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहता है और जन्म के बाद अगले कुछ दिनों तक आने वाले दूध जिसे कालेस्ट्रम कहते है। शिशु को अवश्य पिलाना चाहिए। यह शिशु को अनेक संक्रामक रोगों व बीमारियों से बचाता है।
मां के दूध में पाये जाने वाले तत्वों व इससे होने वाले लाभ के बारे में राजधानी लखनऊ के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. अनिरूध वर्मा बताते है कि मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में ताकत होती है व उसमें उत्तम प्रोटीन, वसा, लैक्टोज, खनिज लवण, आयरन, पानी व एन्जाइम होते हैं,जो शिशु की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।
उन्होंने बताया कि मां के दूध में गाय के दूध से अधिक मात्रा में लवण, विटामिन डी, ए एवं सी होता है। मां का दूध स्वच्छ होता है। यह सभी दूषित जीवाणुओं से मुक्त होता है। डॉ.अनिरूद्ध वर्मा बताते हैं कि मां के दूध में सभी संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति है तथा यह शिशु को दस्त व सांस की बीमारी से बचाता है। मां का दूध हर पल तैयार मिलता है।
बोतल की तरह इसे तैयार नहीं करना पड़ता और यह किफायती है। उन्होंने बताया कि मां का दूध सिर्फ खाद्य पदार्थ ही नहीं है बल्कि यह शिशु एवं मां में प्यार भी बढ़ाता है। उनके मुताबिक माँ का दूध पीने वाले बच्चों में बड़े होने पर डायबिटिज, दिल की बीमारियों, अकौता, दमा एवम् अन्य एलर्जी रोग होने की सम्भावना भी कम होती है।
साथ ही मां का दूध पीने वाले शिशुओं की बुद्धि का विकास मां का दूध न पीने वाले बच्चे की तुलना में तेजी होता है।
स्तनपान से मां को होता है ये लाभ
स्तनपान शिशु को पैदा होने के बाद होने वाले रक्तस्राव को कम करता है तथा मां में खून की कमी होने को कम करता है। स्तनपान के दौरान गर्भ धारण की सम्भावना कम होती है। स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापे का खतरा कम होता है। स्तनपान से स्तन और अण्डाशय के कैंसर की सम्भावना कम होती है। स्तनपान हड्डियों की कमजोरी से बचाता है।
स्तनपान मां एवम् शिशु के मध्य प्यार के बंधन को मजबूत करता है।
ऊपर का दूध पिलाने से होते हैं ये नुकसान
कुछ माताएं शिशु को अपने दूध के बजाए गाय का दूध या पाउडर का दूध पिलाना पसंद करती हैं। इसके काफी नुकसान हो सकते हैं। क्योंकि इसमें सही मात्रा में प्रोटीन वसा, विटामिन व खनिज नहीं होते हैं, जो शिशुओं के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में इससे शिशुओं में संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है,क्योंकि इसमें संक्रमण विरोधी तत्व नहीं पाये जाते।
इसके अलावा शिशु को दस्त और निमोनिया की सम्भावना बढ़ जाती है। वहीं शिशु में एलर्जी की सम्भावना बढ़ जाती है तथा दूध के पचने में ज्यादा कठिनाई होती है। साथ ही दीर्घ स्थायी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिकत दूध न पिलाने वाली माताओं को खून की कमी तथा प्रसव के पश्चात अधिक रक्तस्राव की सम्भावना बढ़ जाती है तथा स्तन एवम् अण्डाशय में कैंसर का खतरा भी ज्यादा होता है।
शिशु को छह माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए क्योंकि वह पर्याप्त है। बाल जीवन घुट्टी या कोई अन्य पेय नहीं देना चाहिए, इससे बच्चे को नुकसान हो सकता है। छह माह के बाद बच्चे को दो वर्ष तक पूरक आहार के साथ-साथ मां का दूध जरूर देना चाहिए। इससे बच्चे का पर्याप्त विकास होता है।