दुखों का टूटा पहाड़ः पहले पिता फिर बेटे का किया अंतिम संस्कार, जानें पूरा मामला
दरअसल शुक्रताल श्मशान घाट पर दादा के अंतिम संस्कार के बाद गंगा किनारे हाथ पैर धो रहा पोता अचानक गहरे पानी मे समा गया, घंटों की मशक्कत के बाद शव को गोताखोर की सहायता से बाहर निकाला गया तथा देर शाम उसकी भी चिता भी वहीं जलाई गई पुलिस ने घटना की जानकारी कर शव का पंचनामा किया।
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई । यहां गुरुवार को दादा के अंतिम संस्कार में गये पोते की श्मशान घाट पर पानी में डूबने से भी मौत हो गई ।
इस तरह एक ही दिन दादा और पोते की मृत्यु से घर में गमों का पहाड़ टूट गया। दरअसल शुक्रताल श्मशान घाट पर दादा के अंतिम संस्कार के बाद गंगा किनारे हाथ पैर धो रहा पोता अचानक गहरे पानी मे समा गया ।
घंटों की मशक्कत के बाद शव को गोताखोर की सहायता से बाहर निकाला गया तथा देर शाम उसकी भी चिता भी वहीं जलाई गई पुलिस ने घटना की जानकारी कर शव का पंचनामा किया।
96 वर्षीय दादा की हुई थी मौत
मुजफ्फरनगर के छपार थाना क्षेत्र के गांव बसेड़ा निवासी 96 वर्षीय कुरड़ीया की मौत गुरुवार को हो गयी थी। दोपहर बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए शुक्रताल स्थित शमशान घाट पर लाया गया।
दाह संस्कार के बाद मृतक का पोता 36 वर्षीय धर्मवीर पुत्र नरेश वही गंगा किनारे हाथ -पांव धोने लगा कि अचानक वह गंगा के गहरे पानी मे समा गया। इसके बाद तो वहां हड़कंप मच गया।
दादा के बाद पोते की मौत की सूचना पर घर में मातम पसर गया। घर वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर पहुंची भोपा पुलिस ने गोताखोर की सहायता से घंटो की मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला।
परिवार ने नहीं कराया पीएम
पुलिस ने शव का पंचनामा के बाद पीएम के लिए ले जाना चाहा तो पिता ने मना कर दिया। मृतक का पिता किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं चाहता था। धर्मवीर का अंतिम संस्कार पिता ने रोते हुए कर दिया।
वहीं परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। परिवार के लोगों का कहना था कि उन्हें इस घड़ी को भी देखना होगा कभी सोचा नहीं था। धर्मवरी के पिता तो बहुत ही बेबस नजर आ रहे थे।
कुछ ही देर पहले उन्होंने पिता का अंतिम संस्कार किया था, फिर बेटे को भी उन्हें अपने हाथों से मुखाग्नि देनी पड़ी उनका हाल बेहाल हो गया थाण् वो बार-बार जमीन पर बैठ जा रहे थे। जिसने में भी एक ही दिन दादा और पोते की मौत की खबर सुनी उसकी आंखों से आंसू नहीं रूक रहे थे।