सावधान! ध्रूमपान करने वालों के साथ अधिक रहना पड़ेगा भारी, अध्ययन में हुआ यह खुलासा
शोध के अनुसार धूम्रपान न करने वाले लोग यदि धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं तो उनमें धुआंरहित घर में रहने वालों के मुकाबले मुंह का कैंसर होने के आसार 51 फीसदी तक ज्यादा होता है। इस बात को लंबे वक्त से सभी जानते हैं कि धूम्रपान से फेफड़ें, आमाशय, पेट और अन्य अंगों के साथ-साथ मुंह, गले और होठों के कैंसर का जोखिम बना रहता है। इधर किंग्स कॉलेज लंदन के नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है।
नई दिल्ली। ध्रूमपान करने से कैंसर का खतरा होता है। ये बात तो करीब—करीब सभी जानते हैं। लेकिन शायद यह नहीं मामले कि ध्रूमपान करने वालों के साथ रहने वालों को भी मुंह का कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। यह बात हाल ही में किए गए एक शोध से पता चली है। दरअसल हाल ही में किए गए एक शोध में चौकाने वाली बात निकलकर सामने आई है।
बताया गया कि ब्रिटेन में हुए एक हालिया शोध में बताया गया है कि न केवल धूम्रपान करने वालों में, बल्कि उनके साथ रहने वाले लोगों में भी मुंह का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।
शोध के अनुसार धूम्रपान न करने वाले लोग यदि धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं तो उनमें धुआंरहित घर में रहने वालों के मुकाबले मुंह का कैंसर होने के आसार 51 फीसदी तक ज्यादा होता है। इस बात को लंबे वक्त से सभी जानते हैं कि धूम्रपान से फेफड़ें, आमाशय, पेट और अन्य अंगों के साथ-साथ मुंह, गले और होठों के कैंसर का जोखिम बना रहता है।
इधर किंग्स कॉलेज लंदन के नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है। इसे लेकर एक्पर्ट्स में लंबे समय से डर बना हुआ है। अब बताया गया कि पैसिव या सेकंड-हैंड स्मोकिंग भी व्यक्ति में ओरल कैंसर का जोखिम बड़े स्तर पर बढ़ाती है।
गौरतलब है कि सिगरेट, पाइप और सिगार के धुएं का पैसिव इन्हलैशन से स्वास्थ्य को होने वाले जोखिम कई वर्षों से स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चिंता का विषय हैं। लेकिन पहले के अध्ययनों में पाया गया है कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकती है।
मगर यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें ओरल कैंसर और पैसिव स्मोकिंग के बीच संबंध को खोजा गया है। प्रत्येक वर्ष करीब पांच लाख मौखिक कैंसर का पता चलता है। इसमें 8,300 ब्रिटेन में शामिल हैं। बताया गया कि तंबाकू का धुआं, जो कार्सिनोजेन्स से भरा होता है, इसे दुनियाभर में कैंसर से होने वाली पांच मौतों में एक से जोड़ा गया है।
अध्ययन में बताया जाता है कि हर तीन वयस्कों में से एक वयस्क और 40 फीसदी बच्चे धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के आसपास होने के कारण ‘अनैच्छिक धूम्रपान’ से ग्रसित हैं।
बताया गया कि दुनियाभर के लगभग 6,900 लोगों के आंकड़ों के आधार पर खुलासा हुआ है कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग करने वाले लोगों में ओरल कैंसर का खतरा 51 प्रतिशत अधिक होता है। जानकारी के मुताबिक अध्ययन जर्ल टोबैको कंट्रोल में प्रकाशित हुए हैं। इसके तहत यह भी पाया गया कि लगातार संपर्क से व्यक्ति के जोखिम में और भी वृद्धि होती है।
अध्ययन में बताया गया है कि जो लोग 10 से पंद्रह सालों तक धूम्रपान करने वालों के सम्पर्क में एक घर में रहते हैं तो उनमें मौखिक कैंसर का खतरा उन लोगों के मुकाबले दोगुना होता है, जो हर तरह के धुएं से बचे रहते हैं।
बताया गया कि शोधकर्ताओं ने पांच अलग-अलग अध्ययनों के आधर पर ये निष्कर्ष निकाले हैं।
बताया गया कि पैसिव स्मोकिंग के खतरनाक प्रभावों की पहचान करने वाला यह अध्ययन स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को प्रभावी पैसिव स्मोक एक्सपोजर प्रिवेंशन प्रोग्राम विकसित करने में काफी सहायक सिद्ध के साथ ही आगे के लिए दिशा—निर्देश देगा।