चुनाव आयोग के नाम पर बीएलओ की ड्यूटी करने वाले शिक्षकों से ठगी, इस तरह लगा रहे चूना
काल करने वाला खुद को चुनाव आयोग का कर्मचारी बताता है। इसके बाद शिक्षकों से मोबाइल पर एक एप्प डाउनलोड करने को कहता है। इसके बाद शिक्षक के खाते से रुपये निकल जाते है। उन्होंने बताया कि इसी तरह पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुशारी में तैनात सहायक अध्यापक गिरीश कुमार के खाते से 25 सौ रुपए की ठगी हो चुकी है। इसी प्रकार शालिनी के साथ भी ठगी हो चुकी है।
भमोरा- बरेली। जब से सरकार ने आनलाइन बैंकिंग पर जोर दिया है, तभी से ठगों ने ठगी का खेल भी आनलाइन शुरू कर दिया है। कभी बैंक अधिकारी बनकर तो कभी किसी और बहाने से लोगों के खाते की डिटेल लेकर उनके खाते से रुपये पार कर देते है। अब अनोखा मामला सामने आया है। ठग ऐसे शिक्षकों को शिकार बना रहे है जो बीएलओ की ड्यूटी करते है।
आपकों बता दें कि बीएलओ की ड्यूटी कर रहे शिक्षकों को चुनाव आयोग के नाम पर फोन पर करके ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। फोन करने वाला खुद को चुनाव आयोग का कर्मचारी बताता है और वह शिक्षकों को लिंक भेजकर एक एप्प डाउनलोड करने को कहता है। शिक्षक जैसे ही उस लिंक को खोलते है उनके खाते से रकम निकल जाती है।
इस तरह कई शिक्षक ठगी का शिकार अब तक हो चुके है। माध्यमिक शिक्ष संघ ने इसकी शिकायत खंड शिक्षाअधिकारी से की है। पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ब्लॉक आलमपुर जाफराबाद के अध्यक्ष राजेश शर्मा के अनुसार बीएलओ की ड्यूटी कर रहे शिक्षकों के मोबाइल नंबर पर एक नंबर से कॉल आ रही है।
काल करने वाला खुद को चुनाव आयोग का कर्मचारी बताता है। इसके बाद शिक्षकों से मोबाइल पर एक एप्प डाउनलोड करने को कहता है। इसके बाद शिक्षक के खाते से रुपये निकल जाते है। उन्होंने बताया कि इसी तरह पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुशारी में तैनात सहायक अध्यापक गिरीश कुमार के खाते से 25 सौ रुपए की ठगी हो चुकी है। इसी प्रकार शालिनी के साथ भी ठगी हो चुकी है।
इसी तरह कई अन्य शिक्षकों के साथ भी ठगी हो चुकी हैं। शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष ने खंड अधिकारी मुकेश कुमार को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मामले की जांच आश्वासन दिया है।
कैसे पहुंचा शिक्षकों का नंबर ठगों तक
अब यह सवाल उठता है कि ठगों तक कैसे बीएलओ की ड्यूटी कर रहे शिक्षकों का नंबर पहुंचा। सभी बीएलओ की ड्यूटी कर रहे शिक्षकों का डाटा तहसील में रखा जाता है। अब तक जितने भी शिक्षक ठगी के शिकार हुए है वे सभी बीएलओ की ड्यूटी में लगे हुए है। और जिन शिक्षक को बीएलओ ड्यूटी में लगाया गया है उनका डाटा सिर्फ तहसील में रखा गया है। अब सवाल यह है कि ठगों तक यह डाटा कैसे पहुंच गया।
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