ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखें-गर्दन हो रही टेढ़ी, कई केस आए सामने, चिकित्सकों ने दी ये सलाह

टीम भारत दीप |

विशेज्ञषों ने कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है।
विशेज्ञषों ने कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है।

बच्चों के देर तक मोबाइल पर गेम खेलने व वीडियो देखने से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। अधिकतर बच्चे क्लास करने के बाद मोबाइल पर व्यस्त हो जाते हैं। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत लग चुकी है। इससे दिक्कतें बढ़ रही हैं। लखनऊ के सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ.पीके दुबे के मुताबिक एक महिने में करीब 18 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

लखनऊ। कोरोनाकाल में बढ़ी बच्चों की ऑनलाइन पढाई का अब साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है। ऐसे तमाम केस सामने आएं है, जिनमें बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में यदि आपका बच्चा बिस्तर पर लेटकर मोबाइल देखता है या ऑनलाइन क्लास करता है तो सावधान होने की जरुरत है।

बता दें कि मोबाइल और कंप्यूटर पर ऑनलाइन क्लास करने, गेम खेलने और वीडियो देखने का साइड इफेक्ट बच्चों पर दिखना शुरू हो गया है। सबसे बड़ी चिंता वाली बात यह है कि इससे बच्चों की नजर और गर्दन टेढ़ी हो रही है। आंख भी तिरछी होने के साथ खराब हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लखनऊ के बड़े चिकित्सा संस्थान और अस्पतालों में आए दिन ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।

बताया गया कि लोहिया संस्थान, सिविल अस्पताल व बलरामपुर अस्पताल में एक महीने में ऐसे 45 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऑनलाइन क्लास से कुछ ही दिक्कतें सामने आ रही हैं। ऐसा इसलिए है कि क्लास के दौरान बच्चा स्क्रीन के बहुत नजदीक नहीं होता है। बताया गया कि बैठने की पोजीशन का भी ध्यान रखता है।

बच्चों के देर तक मोबाइल पर गेम खेलने व वीडियो देखने से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। अधिकतर बच्चे क्लास करने के बाद मोबाइल पर व्यस्त हो जाते हैं। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत लग चुकी है। इससे दिक्कतें बढ़ रही हैं। लखनऊ के सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ.पीके दुबे के मुताबिक एक महिने में करीब 18 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

अधिकतर बच्चों की आंखों में जलन, खुजली, चश्मे का नंबर बढ़ने, आंखों व गर्दन में दर्द होने के साथ नजर टेढ़ी होने व गर्दन में खिंचाव की शिकायतें अधिक हैं। वहीं बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. संजीव गुप्ता के मुताबिक दिक्कत ऑनलाइन क्लास करने से नहीं है।

मगर जब इसके बहाने बच्चे मोबाइल लेकर गेम खेलने जैसे काम करते हैं और अपना अधिकतर समय मोबाइल स्क्रीन पर बिताते हैं तो यह समस्या होती है। बलरामपुर में पिछले चार हफ्ते में करीब एक दर्जन से अधिक मामले आ चुके हैं। इस बाबत लोहिया संस्थान के डॉ. एसके पांडेय के अनुसार अभी तक करीब आठ-दस बच्चे ओपीडी में इलाज को आ चुके हैं।

पूछताछ में बच्चों और उनके अभिभावकों ने बताया कि बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने या वीडियो देखने में अधिक समय बिता रहे हैं। कई बार बच्चे स्क्रीन की लाइट को कम या ज्यादा कर लेते हैं और स्क्रीन के काफी नजदीक हो जाते हैं। ऐसे में उनके गर्दन में खिंचाव होने लगता है। नियमित ऐसा करने वाले बच्चों की गर्दन टेढ़ी हो रही है।

बताया गया कि जो बच्चे लेटकर या तिरछे होकर मोबाइल देख रहे हैं, उनकी नजर भी टेढ़ी हो रही है। वहीं लोकबंधु के मेडिकल अधीक्षक डाॅ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना काल में जीवन शैली में आएं बदलाव का नतीजा यह बीमारियां हैं। बच्चों को इन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऑनलाइन क्लास के दौरान पैरेंट्स को सतर्कता बरतनी होगी।

अस्पताल में ऐसे मामले आएं दिन आ रहे है जो संकेत देते है कि हालात बिगड़ रहे हैं।

यूं बरतें सावधानी
विशेज्ञषों ने कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है। बच्चों को ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल की जगह टैबलेट या लैपटॉप मुहैया कराएं। ऑनलाइन क्लास के बहाने मोबाइल पर गेम न खेलने दें। बच्चों को लेटकर या तिरछे होकर मोबाइल स्क्रीन पर अधिक समय न गुजारने दें। स्क्रीन की लाइट कम या अधिक करके अथवा अंधेरे कमरे में मोबाइल नहीं देखने दें।
 


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