आपदा में चीनी ​बहिष्कार की निकली हवा, 90 फीसदी बाजार पर चीन का कब्जा

टीम भारत दीप |

बहुत से उपकरण ताइवान के रास्ते कारोबारी मंगवा रहे हैं, फिर भीकमी  है।
बहुत से उपकरण ताइवान के रास्ते कारोबारी मंगवा रहे हैं, फिर भीकमी है।

कोरोना की दूसरी लहर में चीन में बने मेडिकल उपकरण बाजार में भरे हुए है। प्रयागराज में चीन से आए पल्स ऑक्सीमीटर एवं अन्य उपकरण की भरमार है। अब कोई मेड इन ​चीन पर नजर नहीं डाल रहा है। अब तक चीन का मतलब सस्ते सामान से लगाया जाता था, लेकिन इस समय चीन के बने उपकरण भी महंगे दामों में बिक रहे है।

प्रयागराज। पिछले कई साल से दीपावली के समय पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का एक ट्रेंड जो चला था, वह हर एक भारत-चीन सीमा विवाद के बाद तेज हो जाता था। सोशल मीडिया पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की बाढ सी  आ जाती थी। आज उसी चीन के बनाए उपकरण लोगों की जान बचाने में काम आ रहे है।  

कोरोना की दूसरी लहर में चीन में बने मेडिकल उपकरण बाजार में  भरे हुए है। प्रयागराज में चीन से आए पल्स ऑक्सीमीटर एवं अन्य उपकरण की भरमार है। अब कोई मेड इन ​चीन पर नजर नहीं डाल रहा है। अब तक चीन का मतलब सस्ते सामान से लगाया जाता था, लेकिन इस समय चीन के बने उपकरण भी महंगे दामों में बिक रहे है।

इसके बाद भी कोई एक बार भी बहिष्कार की नहीं सोच रहा है। क्योंकि दूसरी कंपनियों का कोई प्रोडक्ट उपलब्ध नहीं है। अगर यह कहा जाए तो चीनी उपकरण न हो तो भारत में सास नापना भी मुश्किल हो जाएगा तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी।

प्रयागराज की अधिकांश मेडिकल की दुकानों में 90 फीसदी से ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर एवं अन्य उपकरण मेड इन चीन के ही बिक रहे हैं। बहुत से उपकरण ताइवान के रास्ते कारोबारी मंगवा रहे हैं, फिर भी मेडिकल उपकरणों की यहां कमी बनी हुई है।

मेडिकल उपकरणों की कमी

पिछले वर्ष चीन से हुए सीमा विवाद के बाद देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम शुरू हुई तो देश में ही कुछ कंपनियों ने ऑक्सीमीटर एवं अन्य सर्जिकल उपकरण बनाने की शुरूआत की।

महामारी के दौर में भारतीय कंपनियों के बनाए उपकरण न के बराबर है। ऐसे में लोग जो भी ब्रांड मिल पा रहे हैं, उसे तुरंत खरीद रहे है। बाजार में जो ब्रांड मिल भी रहे हैं उसमें 90 फीसदी से ज्यादा चीन में बने है। 

देसी कंपनियां नहीं कर पा रही मांग पूरी

देश में जो भी कंपनिया मेडिकल उपकरण बनाने का काम करती है। वह सभी इस समय मांग के मुकाबले उत्पादन नहीं कर पा रही है। ऐसे में मेडिकल कारोबार से जुड़े लोग जहां से भी माल मिल रहा है उसे मंगाकर बाजार में बेच रहे है।

वैसे इस समय लोग केवल प्रोडक्ट देख रहे न कि कंपनी या किस देश में बना है। अधिकांश लोगों का यही सोचना है कि उन्हें किसी तरह से ऑक्सीमीटर मिल जाए। प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन के लालू मित्तल बताते हैं कि  चाइनीज प्रोडक्ट का ज्यादा विकल्प न मिलने की वजह एक बार फिर से बाजार में इनकी बिक्री तेज हो गई है।

सर्जिकल आइटम में चाइनीज कंपनियों की ज्यादा पैठ है। तमाम प्रतिबंध होने की वजह से एवं  मांग को पूरा करने के लिए आयातकों और चीन की कंपनियों ने  सिंगापुर और ताइवान के रास्ते भारत में माल भेजना शुरू कर दिया है।

पांच गुने दाम पर मिल रहे ऑक्सीमीटर

मौजूदा कोविड-19 संकट से जिले में ऑक्सीमीटर की भारी कमी हो गई है, इससे उपभोक्ताओं के लिए शायद ही कोई विकल्प बचा हो।

चीन में निर्मित ऑक्सीमीटर की ही सप्लाई हो पा रही है। होली के पूर्व 400 से 500 रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर अब ढूंढने से भी दो से ढाई हजार रुपये में भी मुश्किल से मिल पा रहा है। जिन्हें नहीं मिल रहा है वह यहां -वहां भटक रहा है। 


संबंधित खबरें