रंग लाई कूटनीति: लद्दाख में 2 विवादित बिंदुओं से पीछे हटने को तैयार हुआ चीन
बातचीत सुबह 10 बजे से चीन के मोल्दो इलाके में बनी चौकी पर शुरू हुई। बैठक में 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव शामिल थे। भारत की तरफ से एजेंडा साफ था कि चीन को आमने-सामने की तैनाती वाले इलाकों में पीछे हटना ही होगा।
नईदिल्ली। पिछले कई साल से भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद की स्थिति पनप रही है। इस विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों देश के मंत्री और अफसर लगातार एक—दूसरे से चर्चा करके विवाद को समाप्त करने की कोशिश कर रहे है।
12 दौर की वार्ता के बाद उन विवादित बिंदुओं पर आपसी सहमति बनती दिख रही है। भारत और चीन के बीच LAC पर जारी तनाव के बीच एक पॉजिटिव जानकारी सामने आ रही है। चीन पूर्वी लद्दाख में 3 विवादित पॉइंट में से 2 से हटने को तैयार हो गया है। शनिवार को भारत और चीन के सीनियर कमांडर्स के बीच 12वें दौर की बैठक हुई। इसमें भारतीय सेना के कमांडर्स ने 3 विवादित पॉइंट्स हॉट स्प्रिंग, गोग्रा और डेपसांग में चीन की मौजूदगी पर सख्त आपत्ति जताई।
दोनों देशों के बीच लगभग 12 घंटे तक चली वार्ता के बाद चीन की सेना ने हॉट स्प्रिंग और गोग्रा पॉइंट से पीछे हटने पर सहमति जताई। इन दोनों इलाकों को पैट्रोल पॉइंट 15 और पैट्रोल पॉइंट 17-अल्फा के नाम से जाना जाता है।
सेना से जुड़े सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों इलाकों से चीनी सेना के पीछे हटने का एक्शन प्लान भी तैयार किया गया। हालांकि, डेपसांग के विवादित क्षेत्र पर कोई सहमति नहीं बन पाई। बातचीत सुबह 10 बजे से चीन के मोल्दो इलाके में बनी चौकी पर शुरू हुई।
बैठक में 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव शामिल थे। भारत की तरफ से एजेंडा साफ था कि चीन को आमने-सामने की तैनाती वाले इलाकों में पीछे हटना ही होगा।
डेपसांग में चीन नहीं माना तो कैलाश रेंज में जवान तैनात करेगा भारत
चीन डेपसांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है। यहां भारतीय सेना की गश्त पैट्रोल पॉइंट 10, 11, 11-अल्फा, PP-12 और PP-13 पर रोकी जा रही है। यह इलाका भारत की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम रेंज से महज 30 किमी. दूर है।
चीन अड़ा रहा तो भारतीय सेना कैलाश रेंज में जवानों की तैनाती कर सकती है। हमारे सैनिक इसका अभ्यास कर चुके हैं। इन ठिकानों से चीन का वेस्टर्न हाईवे बहुत दूर नहीं होगा।
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