सुविधाएं मिलेंगी पर रेल यात्रियों की जेब भी कटेगी !
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निजी ट्रेनें शुरू होने के बाद यात्रियों को एयरलाइनों की तर्ज पर पसंदीदा सीटों, सामान और ट्रेन पर अन्य सेवाओं के लिए भुगतान करना पड़ सकता है।
नई दिल्ली। देश में निजी ट्रेनों की शुरुआत होने के बाद जहां एक ओर यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलने की उम्मीद है। वहीं सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि उनकी जेब भी कटेगी। क्योंकि ट्रेनों के संचालन करने वाली कंपनियों को ट्रेनों के किराए खुद तय करने और आय बढ़ने के लिए ज़रिया तलाशने की भी छूट भी दी जाएगी।
रेलवे ने किया है आमंत्रित
निजी ट्रेनें शुरू होने के बाद यात्रियों को एयरलाइनों की तर्ज पर पसंदीदा सीटों, सामान और ट्रेन पर अन्य सेवाओं के लिए भुगतान करना पड़ सकता है। यह शुल्क रेलवे के साथ साझा की जाने वाली सकल आमदनी का हिस्सा होगा। गौरतलब है कि रेलवे ने हाल ही में रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन (आरएफक्यू) जारी किया है जिसमें निजी कंपनियों को रेलवे नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों का संचालन करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
निजी संचालक तय करेंगे
अधिकारियों का कहना है कि इन सेवाओं के लिए यात्रियों से शुल्क लिया जाए अथवा नहीं, इसका फैसला निजी संचालक ही करेंगे। दस्तावेज के मुताबिक बोली लगाने वाली कंपनी को उनकी वित्तीय स्थिति के अनुसार रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के स्तर पर ही सकल राजस्व की साझेदारी का प्रस्ताव देना होगा। आरएफक्यू के मुताबिक, रेलवे ने निजी संचालकों को यात्री किराया तय करने की छूट दी है, साथ ही उन्हें आमदनी के जरिये भी तलाशने की छूट होगी।
टिकट महंगे होने की आशंकाओं को खारिज किया
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इन आशंकाओं को खारिज कर दिया था कि निजी ट्रेनों के टिकट बहुत महंगे होंगे। उनका कहना था कि वे बाजार से निर्धारित और प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर आधारित होंगे। रेलवे ने 109 जोड़ी रूटों पर 151 अत्याधुनिक यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया है। निजी कंपनियों के इसके लिए अपनी पसंद के स्त्रोत से ट्रेनें और लोकोमोटिव खरीदने की छूट होगी। 109 रुटों पर कुल 151 आधुनिक कोच से लैस ट्रेनें चलाई जाएंगी। इन ट्रेनों की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा होगी।
अतिरिक्त होंगी 151 ट्रेनें
चलाई जाने वाली प्राइवेट 151 ट्रेनें भारतीय रेलवे की ट्रेनों के अतिरिक्त होंगी। इन ट्रेनों का संचालन उन्हीं रुटों पर किया जा रहा है, जिन पर यात्रियों का बहुत बोझ है। ज्यादातर निजी ट्रेनें मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनेंगी। किराया एसी बस और हवाई किराया को ध्यान में रख कर तय किया जाएगा। प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए कुल 12 क्लस्टर का चयन किया गया है। इनमें बंगलौर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई के दो दो क्लस्टर, हावड़ा, जयपुर, पटना, प्रयागराज व सिकंदराबाद प्रमुख हैं।
160 किमी की होगी स्पीड
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा था कि इसे शुरू होने में तीन साल लगेंगे। हमारी कोशिश होगी कि अप्रैल 2023 तक प्राइवेट ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाए। प्राइवेट ट्रेन किस तरह परफॉर्म कर रही हैं, उसके लिए एक स्पेशल मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा और परफॉर्मेंस रिव्यू होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने 5 फीसदी ट्रेनों के निजीकरण का फैसला किया है। यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत होगा। बाकी 95 फीसदी ट्रेनें रेलवे की तरफ से ही चलाई जाएंगी। यह देश के उन यात्रियों के लिए तोहफा होगी, जिन्हें प्रतीक्षा सूची लंबी होने की वजह से यात्रा करने में मुश्किलें पेश आती हैं। इन ट्रेनों की रफ्तार होगी 160 किमी प्रति घंटारेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा था कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता के बीच फिलहाल 130 किमी प्रति घंटे वाले ट्रैक तैयार हैं। इन पटरियों को अगले दो सालों में 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से 160 किमी की रफ्तार में तब्दील कर दिया जाएगा। यादव ने कहा कि प्राइवेट ट्रेन के लिए वित्तीय बोली (फाइनेंशल बिड) 2021 के अप्रैल तक पूरा हो जाएगी। रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशनन को सितंबर 2020 तक फाइनल करने की उम्मीद है।