संयुक्त किसान मोर्चा संगठन में तकरार, दिल्ली में बैठक के दौरान हाथापाई होते-होते बची

टीम भारत दीप |

विरोध के बाद भी भाजपा की जीत से संयुक्त मोर्चा में आई दरार।
विरोध के बाद भी भाजपा की जीत से संयुक्त मोर्चा में आई दरार।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा ने खुलकर भाजपा का बहिष्कार किया था। मोर्चा को उम्मीद थी कि उसका बहिष्कार भाजपा के विजय रथ को रोक देगा और उसका कंधा लेकर विपक्षी दल जीत दर्ज करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

नई दिल्ली।यूपी समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में  आए परिणाम के बाद संयुक्त किसान मोर्चा संगठन में दरार आ गई है। चुनाव बाद पहली बार दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में जुटे मोर्चे के पदाधिकारियों में टकरार हो गई।

सोमवार को गुटों में बंटकर बैठकें हुईं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर भी खूब चला। कई बार नौबत हाथापाई तक की आती दिखाई दी, लेकिन बीच बचाव कर मामला संभाल लिया गया।

विशेष बात यह रही कि बैठक में वामपंथी नेता अतुल अंजान के साथ अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा में आपसी फूट कभी भी सार्वजनिक रूप से सामने आ सकती है।

बहिष्कार के बाद भी बीजेपी को मिली सफलता

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा ने खुलकर भाजपा का बहिष्कार किया था। मोर्चा को उम्मीद थी कि उसका बहिष्कार भाजपा के विजय रथ को रोक देगा और उसका कंधा लेकर विपक्षी दल जीत दर्ज करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समय रहते विवाद का कारण बने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। इससे चुनाव में किसान आंदोलन को भुनाने के मोर्चे के नेताओं के मंसूबे पर पानी फिर गया। इसके उलट चुनाव में मतदाताओं का सत्ता पक्ष की ओर ही रुझान रहा। यही कारण रहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर में भाजपा ने जोरदार तरीके से जीत दर्ज की और कई मिथक टूट गए।  

बैठक में आंदोलन से उपजे आक्रोश को भुनाने के लिए मोर्चा के एक गुट द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के मामले को लेकर भी टकराव देखने को मिला। राजनीतिक दल बनाकर पंजाब में चुनाव लड़ने वाले मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल

गुरनाम सिंह चढूनी को मोर्चा से बाहर का रास्ता दिखाने के पक्ष में दूसरा गुट दिखा। फिर कुछ नेता इसको लेकर गांधी शांति प्रतिष्ठान के मुख्य हाल के बाहर बैठक करने लगे। इसमें मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव, दर्शन पाल सिंह और हन्नान मोल्ला शामिल थे।

वहीं, दूसरा गुट इस संबंध में दबे स्वर से योगेंद्र यादव पर सवाल उठा रहा था, जिनकी खुद की एक राजनीतिक पार्टी है। इस बीच संगठन से जुड़े कार्यकर्ता असमंजस में थे कि वो किस गुट में शामिल हों। फिलहाल योगेंद्र यादव वाले गुट की ओर से संगठन में अनुशासन के लिए एक मसौदा तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया है। उसे सभी गुट के नेताओं को भेजा जाएगा।

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