यूपी उपचुनाव: रामपुर के स्वार से हैदर और उन्नाव के बांगरमऊ से आरती पर कांग्रेस ने जताया भरोसा

टीम भारत दीप |

हैदर अली खान और आरती वाजपेयी।
हैदर अली खान और आरती वाजपेयी।

उन्नाव की बांगरमऊ सीट भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर की और रामपुर की स्वार टांडा सीट आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की सदस्यता समाप्त होने के कारण खाली हुई है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव पर भले ही 29 सितंबर को निर्वाचन आयोग फैसला करेगा, लेकिन कांग्रेस की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में आठ सीट पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव के लिए रविवार को अपने दो प्रत्याशियों का नाम फाइनल कर दिया है। कांग्रेस ने उन्नाव के बांगरमऊ से आरती वाजपेयी और रामपुर के स्वार से हैदर अली खान को अपना प्रत्याशी बनाया है। उन्नाव की बांगरमऊ सीट भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर की और रामपुर की स्वार टांडा सीट आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की सदस्यता समाप्त होने के कारण खाली हुई है।

स्वार विधानसभा सीट से उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने नवाब खानदान के हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को प्रत्याशी घोषित किया है। हमजा मियां पहली बार चुनावी मैदान में उतरकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके पिता नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह चार बार स्वार सीट से ही जीते थे। जबकि उनके दादा नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां पांच बार रामपुर से सांसद चुने गए थे।

उनकी दादी बेगम नूरबानो भी दो बार रामपुर से सांसद रही थीं. वहीं दूसरी ओर उन्नाव के बांगरमऊ से कांग्रेस की प्रत्याशी पूर्व मंत्री पंडित गोपीनाथ दीक्षित की बेटी तथा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित के पति की भतीजी आरती वाजपेयी को उन्नाव उन्नाव की बांगरमऊ सीट से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है.

इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया कि डॉटर्स डे के अवसर पर बांगरमऊ की बेटी को इतनी महत्वपूर्ण जि़म्मेदारी देने के लिए प्रियंका गांधी तथा अजय कुमार लल्लू की आभारी हूं. मेरे भाई बहनों की ओर से मैं पार्टी नेतृत्व को यह विश्वास दिलाती हूं कि हम यह लड़ाई जीत कर बांगरमाऊ की खोई अस्मिता को वापस लौटायेंगे.

इसके पूर्व 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था. उसके बाद 2012 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था और पूर्व मंत्री अशोक सिंह बेबी को कांग्रेस ने टिकट था. आरती ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा  तो दोनों ही बार उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था. 
 


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