कांग्रेस नेता और गरीबों के मसीहा बूटा सिंह नहीं रहे, प्रधानमंत्री ने जताया शोक
बूटा सिंह देश में नेेहरू-गांधी परिवार के विश्वासपात्र के तौर पर जाने जाते थे। सरदार बूटा सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन के चेयरमैन के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई थी।
चंडीगढ़-नईदिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बूटा सिंह का शनिवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बूटा सिंह इस समय 86 वर्ष के थे। बूटा सिंह का नई दिल्ली में निधन हुआ।
उनका अंतिम संस्कार आज ही किया जाएगा। वर्ष 1934 जालंधर जिले में जन्मेे बूटा सिंह राष्ट्रीय राजनीति का एक बड़ा नाम थे। आठ बार लोकसभा के लिए चुने गए थे।बूटा सिंह देश में नेेहरू-गांधी परिवार के विश्वासपात्र के तौर पर जाने जाते थे।
सरदार बूटा सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन के चेयरमैन के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई थी।
राहुल गांधी ने जताया शोक
बूटा सिंह के निधन का समाचार सुनते ही उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया। ट्वीट कर उन्होंने लिखा कि उनके निधन से पार्टी ने एक निष्ठावान नेता खो दिया।
बूटा सिंह ने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।
प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेसी नेता बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'बूटा सिंह गरीबों और दलितों के कल्याण के लिए अनुभवी प्रशासक और प्रभावी आवाज थे। उनके निधन से दुखी हूं। बूटा सिंह के परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।'
बूटा सिंह कांग्रेस से तब जुड़े थे जब पंडित जवाहर लाल नेहरू पीएम बने थे। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव व मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रह चुके थे। उन्होंने देश में दलित नेता के रूप में पहचान बनाई।
वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव (1978-1980), भारत के गृह मंत्री और बाद में बिहार के राज्यपाल (2004-2006) बने। बूटा सिंह दलितों के मसीहा के रूप में जाने जाते थे।
उन्होंने भारत में और विदेशों में विशेष रूप से श्री अकाल तख्त साहिब के निर्माण/पुनः निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उन्होंने दिल्ली व अन्य स्थानों पर गुरुद्वारों के पुनर्निर्माण में भी भूमिका निभाई।