यूपी: पहले कोरोना की मार, अब बिजली बिल का भार, सरकार ये कैसा 'अत्याचार'
दरअसल, इन दिनों पूरे जौनपुर ज़िले में बिजली कर्मचारी घर—घर जाकर बिजली बिल निकाल रहे हैं। पिछले महीने तक जो उपभोक्ता बिजली का बिल एक हज़ार के आसपास दे रहा था, उसकी बिजली की बिल अब 10 हज़ार के आसपास आई है।
जौनपुर। उत्तर प्रदेश में इन दिनों लोग कोरोना की मार के साथ—साथ सरकारी लचर व्यवस्था का भी दंश झेलने को मजबूर हैं। अब इसे बिजली विभाग की लापरवाही कही जाए या फिर सरकारी लोगों की मिलीभगत इन दिनों उपभोक्ता बहुत परेशान हैं। लोगों का बिजली का बिल अचानक से कई सौ गुना ज़्यादा आ गया है, जिससे उपभोक्ताओं के माथे पर पसीना आ गया है।
दरअसल, इन दिनों पूरे जौनपुर ज़िले में बिजली कर्मचारी घर—घर जाकर बिजली बिल निकाल रहे हैं। पिछले महीने तक जो उपभोक्ता बिजली का बिल एक हज़ार के आसपास दे रहा था, उसकी बिजली की बिल अब 10 हज़ार के आसपास आई है।
इसको देखते ही उपभोक्ताओं के कान खड़े हो गए हैं। ऐसा कुछ उपभोक्ताओं के साथ नहीं बल्कि हज़ारों के साथ हो रहा है। जब इस संबंध में बिजली विभाग के कर्मचारियों से उपभोक्ता पूछ रहे हैं तो उन्हें जवाब मिलता है कि अब तक जो कर्मचारी बिल निकालते थे वो यूनिट की पूरी काउंटिंग नहीं करते थे।
एक उपभोक्ता मोहम्मद अनीस ने बताया कि उनकी बिजली की बिल पिछले महीने तीन हज़ार रुपये आई थी। इस महीने बिजली का ख़र्चा कुछ कम किया तो बिल 1500 आई लेकिन कर्मचारियों ने बताया कि आपकी कई सौ यूनिट बिल बकाया है। जो मीटर में दर्ज है।
इसके चलते उन्हें 4200 रुपये बिजली का बिल दिया गया। हालांकि जब वह बिजली का बिल आनलाइन जमा कराने गए तो उसमें बिल 1500 रुपये ही डिस्पले हो रही है। इसकी वजह से दुविधा भी बनी हुई कि अब आगे क्या करना है।
वहीं सादिक नाम के कंज्यूमर का कहना है कि कनेक्शन दादाजी के नाम है। हर बार एक हजार से दो हजार के बीच बिल आती थी, लेकिन इस बार 8 हज़ार से ज्यादा की बिल आई है।
उन्हें भी कर्मचारियों यही बताया कि लगातार कई महीना से उनके मीटर में अब तक आ रहे कर्मचारी कुछ यूनिट बिजली की बिल की काउंटिंग नहीं करते थे। यही वजह है कि बिजली की बिल बढ़ती चली गई।
एक अन्य उपभोक्ता कायम रजा के घर 10 हजार के ज़्यादा की बिजली बिल आई है। वह भी बिजली की बिल देखकर सन्न रह गए हैं। बिल ज्यादा आने की वजह से लोग विभाग का चक्कर लगा रहे हैं तो कहा जा रहा है बकाया तो जमा ही करना होगा।
इन तीनों केस से ये बात समझ में आ रही है कि गलती विभाग के कर्मचारियों ने की और उसका हर्जाना कंज्यूमर्स को भुगतना पड़ रहा है। बिजली विभाग को चाहिए कि लोगों से बढ़ी हुई बिजली की बिल किस्त में ले।
एक तो कोरोना की वजह से लोगों का काम—धंधा ऐसे ही चौपट है और उपर से बिजली के बिल का भार लोगों को और सताने लगा है। उपभोक्ताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि आख़िकार वो बिजली बिल कैसे जमा करें। उनका बजट ही बिगड़ गया है।