पढ़ें राजस्थान की ऐसी प्रथा के बारे में जिसमें महिला 6 माह तक रहती है कोने में
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अगर कोई विधवा कोना प्रथा का पालन कर रही है। इस दौरान उसके घर में अगर कोई मसिबत आ जाए. जैसे घर में कोई बीमार हो जाए या मर जाए तब भी महिला को उस कोने से नहीं उठती।
राजस्थान। राधा के पति की मौत 3 महिने पहले एक हादसे में हो गई। पति की मौत से राधा (बदला हुआ नाम) को गहरा सदमा लगा।
पति की मौत के बाद से राधा को किसी ने घर के बाहर नहीं देखा क्योंकि राधा पिछले तीन माह से कोना प्रथा का निर्वाह कर रही है। अभी तीन महीने और एक कोने में जीवन बिताएगी।
यह दुखदायी प्रथा राजस्थान के सिरोही और जालौर जिलों में आज भी प्रचलित है, जो पति की मौत के बाद महिलाओं को 6 माह के लिए एक कोने में समेट कर रख देती है। इन छह माह में विधवा के बच्चों या परिवार पर बड़ा संकट भी आ जाए तो भी वह कोने से हिल नहीं सकती।
किसी पुरुष की छाया उस पर नहीं पड़नी चाहिए।इस प्रथा के मुताबिक महिला जब तक उस कोने में रहती है, उसे अपने हाथ-पैर सहित शरीर को पूरा ढंककर रखना होगा। इन्हें जिंदगीभर एक ही रंग के कपड़ों में इसी तरह ढंककर ही रहना होगा।
सूरज उगने से पहले अपने सारे काम निबटाने होंगे। उजाला होने के बाद फिर कोने में सिमटना होगा। बंदिशें उम्र मुताबिक बढ़ती जाती हैं। जवान पर ज्यादा बंदिशें हैं। दोनों जिलों में ऐसी 20 हजार से ज्यादा विधवाएं हैं।
एकांत वास ही 6 माह
इस प्रथा के मुताबिक पति की मौत के बाद महिला को एकांतवास के तहत घर के एक कोने में जहां कोई आता- जाता नहीं है, गुजारना पड़ता है।
इस दौरान चाहे जैसी भी परिस्थिति आए महिला कोने से हिलेगी तक नहीं।ऐसी अधिकांश महिलाएं घर के पिछवाड़े खंडहर बरामदे में ही 6 माह तक बैठी रहती हैं।
दुख में भी नहीं हो सकती शामिल
अगर कोई विधवा कोना प्रथा का पालन कर रही है। इस दौरान उसके घर में अगर कोई मुसीबत आ जाए, जैसे घर में कोई बीमार हो जाए या मर जाए तब भी महिला को उस कोने से नहीं उठती।
कई बार तो ऐसी महिलाओं को भीषण दुख में भी हिलने की मनाही रहती है। ऐसे में उसका जीवन किसी नरक से कम नहीं हो जाता है, वह किसी तरह इस प्रथा का निर्वाह करती है।