कोरोना संकट कालः पढ़ाई पर बुरा असर, 37 फीसदी छात्राओं का स्कूल लौटना मुश्किल, एक रिपोर्ट से खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 फीसदी परिवारों के पास खाने की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में पढ़ाई पर संकट पड़ना लाजमी है। अध्ययन के मुताबिक सबसे बुरे दौर में लड़कियों की पढ़ाई है। इस रिपोर्ट में करीब 37 फीसद लड़कियों के स्कूल लौटने पर शंका जताई गई है। बताया जा रहा है कि यह लड़कियां शायद अब कभी स्कूल ना पहुंच पाए।
लखनऊ। दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस ने जीवन के हर पहलू पर वार किया है। कोविड -19 महामारी ने ना सिर्फ लोगों की सेहत बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया। इस महामारी के परिणाम स्वरूप जीवन के हर क्षेत्र में गहरा असर पड़ा है।
कोरोना संकट काल के दौर में शिक्षा भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। छात्र-छात्राओं व अभिभावकों में इसको लेकर काफी चिंता भी है। दरअसल छात्र-छात्राओं पर किए गए एक अध्ययन में चौकाने वाली बात सामने आईं है। इस अध्ययन में विशेषकर लड़कियों की पढ़ाई का विशेष नुकसान होने का अंदेशा जताया गया है।
पांच राज्यों में हुए सर्वे में करीब 2 करोड़ छात्राओं के स्कूल जाने पर पड़े संकट को लेकर बताया गया है। एजुकेशन फोरम ने सेंटर फॉर बजट एंड पॉलिसी स्टडीज तथा चैंपियंस फॉर गर्ल्स के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है। यह अध्ययन पांच राज्य के अलग-अलग शहरों में किया गया है।
जिसमें बताया गया है कि 3176 परिवारों को इसमें शामिल किया गया था। जिसके बाद यह अध्ययन 26 नवंबर को मैपिंग द इंपैक्ट आफ कोविड-19 आन द लाइव्स एंड एजुकेशन आफ चिल्ड्रन इन इंडिया नाम से रिलीज हुआ। इस अध्ययन को दिल्ली, उत्तर प्रदेश,बिहार, असम तथा तेलंगाना में किया गया।
संस्थाओं ने अलग-अलग प्रदेशों के अलग-अलग जिलों में सर्वे कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 फीसदी परिवारों के पास खाने की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में पढ़ाई पर संकट पड़ना लाजमी है। अध्ययन के मुताबिक सबसे बुरे दौर में लड़कियों की पढ़ाई है।
इस रिपोर्ट में करीब 37 फीसद लड़कियों के स्कूल लौटने पर शंका जताई गई है। बताया जा रहा है कि यह लड़कियां शायद अब कभी स्कूल ना पहुंच पाए। वहीं रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि बहुत से परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से वह अपने बच्चों को मोबाइल फोन नहीं दे पाए।
इस अध्ययन के मुताबिक ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 27 फीसद छात्राओं को ही पढ़ाई के लिए मोबाइल उपलब्ध हो सका।