वायु प्रदूषण से कमजोर फेफड़ों पर कोरोना संक्रमण का गहरा असर, भारत में इसका स्तर ज्यादा
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ताजा रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के राष्ट्रों में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा संकट है, इसी कारण भारत, नेपाल, नाइजर, कतर, नाइजीरिया, इजिप्ट शीर्ष 6 प्रदूषित देशो की कतार में आकर खड़े हैं।
नई दिल्ली। भारत के लिए चिंताजनक खबर आई है। प्रदूषण के मामले में भारत दुनिया भर के देशों में पहले पायदान पर है। वायु प्रदूषण के आंकड़ों और तथ्यों के साथ ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीस की वैश्विक रिपोर्ट 21 अक्टूबर को दुनिया भर में एक साथ जारी की गई।
वर्ष 2019 के अध्ययन के आधार पर जारी की गई इस रिपोर्ट में दुनिया भर के 116 देशों में लगे 10,408 वायु प्रदूषण मापन इकाईयों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इस रिपोर्ट का संकलन और प्रकाशन किया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत विश्व में प्रदूषित देशों के पायदान में पहले नंबर पर पाया गया, जहां देश की सम्पूर्ण आबादी वायु प्रदूषण के चपेट में जीवन जीने को मजबूर है।
इस रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा “भारत में पिछले एक दशक में वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है। जीबीडी की यह ताजा रिपोर्ट भी बताती है कि देश में वायु प्रदूषण का प्रति व्यक्ति औसत 6.5 माइक्रोग्राम बढ़ा है। विश्व के 116 देशों की तुलना में सबसे ज्यादा बढ कर 83 माइक्रोग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुँच चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मानकों के अनुसार इसे अधिकतम 60 माइक्रोग्राम तक होना चाहिए था। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक भारत की सौ प्रतिशत आबादी भारत सरकार के मानकों के आधार पर भी, और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर भी, प्रदूिषत हवा में सांस लेने को मजबूर हो चुकी है।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के राष्ट्रों में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा संकट है, इसी कारण भारत, नेपाल, नाइजर, कतर, नाइजीरिया, इजिप्ट शीर्ष 6 प्रदूषित देशो की कतार में आकर खड़े हैं, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान को क्रमशः नौवां और दसवां स्थान मिला है।
वहीं वायु प्रदूषण जनित बीमारियों और उनसे होने वाली मौतों के आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि अफ्रीका और एशिया के देशों में खराब हवा के कारण वर्ष 2019 में 5 लाख से अधिक नवजात बच्चों की मौत अपने जन्म से एक माह के भीतर हो गई। एक माह की उम्र पूरा करने से पहले ही वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से वर्ष 2019 में अकेले भारत में ही एक लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई। पुरी दुनिया में इन बीमारियों से कुल 67 लाख मौतें हुईं, जिन्हें वायु प्रदूषण का स्तर कम कर के बचाया जा सकता था।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में असमय-अकाल मौतों का सबसे बड़ा कारण अब वायु प्रदूषण जनित बीमारियाँ ही हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि वायु प्रदूषण से पहले से ही कमजोर हो चुके भारतीय जनता के फेफड़े पर कोविड 19 का गहरा असर पड़ने की आशंका है।
गौरतलब है कि जीबीडी की यह वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट हेल्थ इफेक्ट इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवलुएशन द्वारा हर वर्ष साझा रूप से जारी की जाती है। सौ से अधिक देशों में वर्ष भर में मिले वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर जारी होने वाली यह रिपोर्ट तथ्यपरक व भरोसेमंद मानी जाती है।