कोरोना का संक्रमण हुआ तेज, नाइट कर्फ्यू के साथ स्कूलों के बंद होने पर जल्द फैसला
उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने बताया है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बंद करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी अपने स्तर से जिले में स्कूलों को बंद करने का फैसला कर सकते हैं।
लखनऊ। देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना की दूसरी लहर लगातार तेज होती जा रही है। सरकार के साथ ही हाई कोर्ट ने भी इस पर चिंता जाहिर करते हुए लोगों से कोविड-19 गाइडलाइंस के प्रति अपनी जिम्मेदारी महसूस करने की अपील की है।
कोर्ट ने तो सरकार से नाइट कर्फ्यू लगाने पर भी विचार करने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के ताजा हालात और हाई कोर्ट के रुख को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि कक्षा आठ तक के सभी सरकारी, सहायताप्राप्त और निजी स्कूलों को 11 अप्रैल के बाद भी बंद रहेंगे।
मालूम हो कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले शुक्रवार को प्रदेश में कक्षा आठ तक के सभी स्कूलों को 11 अप्रैल तक बंद रखने का निर्देश दिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर एल-2 तथा एल-3 कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाए। पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा नौ से 12 तक के सभी स्कूल भी 11 अप्रैल तक बंद करने का मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था। हालांकि इस बारे में अभी निर्णय नहीं हो सका है।
जिलाधिकारी ले सकते है अपने स्तर पर फैसला
उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने बताया है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बंद करने की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी अपने स्तर से जिले में स्कूलों को बंद करने का फैसला कर सकते हैं। यह भी कहा कि माध्यमिक विद्यालयों को बंद करने से परीक्षाएं प्रभावित नहीं होंगी। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं पंचायत चुनाव के बाद मई में होंगी।
सभी लोग निभाए अपनी जिम्मेदारी
कोरोना से बचने के लिए सभी लोगों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी कोरोना के बढते प्रकोप को रोका जा सकता है। इस विषय में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश वासियों से कोविड-19 गाइडलाइंस के प्रति अपनी जिम्मेदारी महसूस करने की अपील की है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के कदम उठाएं हैं, किंतु सरकारी दिशा निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने सरकार से देर शाम समारोहों में भीड़ नियंत्रित करने के साथ ही रात्रि कर्फ्यू पर भी विचार करने को कहा है।
कोर्ट ने प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सौ फीसद मास्क पहनना अनिवार्य रूप से लागू कराएं। कोर्ट ने 45 वर्ष की आयु पार कर चुके लोगों के बजाय सभी नागरिकों का वैक्सीनेशन करने और घर-घर जाकर टीके लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की जांच कराई जाए।
घर-घर लग सकता है टीका
कोर्ट की टिप्पणी के बाद जल्द ही सरकार सभी लोगों को टीका लगाने के प्रस्ताव पर अमल कर सकती है। मालूम हो कि अभी 45 वर्ष से ज्यादा लोगों को ही कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
सरकारी की सबसे अपीली है कि कोरोना से बचने जो उपाय बताए गए है, उन्हे अपनाकर कोरोना से बचे। घर से निकलते समय मास्क का उपयोग जरूर करें। जरूरत हो तभी घर से निकले, घर में रहकर कोरोना को हराए।
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